उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में धर्मांतरण के मास्टरमाइंड मौलाना उमर गौतम को डिस्टिक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज राजेंद्र सिंह (4) ने शनिवार को जमानत दे दी. 2021 में उमर गौतम व नुरुलहुदा स्कूल के प्रबंधक और पुत्र पर स्कूल के छात्रों का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने का आरोप लगाते हुए शिक्षिका ने मुकदमा दर्ज कराया था.
कोर्ट का कहना जिस समय की यह घटना दिखाई गई है, उस दिन यह कानून लागू नहीं हुआ था, इसलिए जमानत मंजूर की जाती है. कोर्ट ने उमर गौतम के ऊपर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही कुछ शर्ते भी रखी हैं जिसे उमर गौतम को मानना होगा.
कोर्ट ने जमानत के दौरान रखी ये शर्त
- अभियुक्त बिना कोर्ट के आदेश के भारत से बाहर नहीं जाएगा.
- अभियोजन के साक्ष्य को प्रभावित नहीं करेगा.
बता दें कि 27 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन कानून अध्यादेश लागू हुआ था जबकि उमर गौतम के खिलाफ दर्ज मुकदमे में घटना की तारीख मार्च व अप्रैल 2020 दिखाई गई थी. मामले को लेकर महिला टीचर ने जिले के सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था.
यूपी के फतेहपुर के रहने वाले हैं गौतम
मोहम्मद उमर गौतम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक हिंदू राजपूत परिवार में 1964 में हुआ. इस्लाम धर्म अपनाने से पहले उनका नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम हुआ करता था. उनके पिता का नाम का नाम धनराज सिंह गौतम है. वो छह भाई हैं, जिनमें उमर का चौथा नंबर है. घर में उन्हें बचपन से ही प्रधानजी के नाम से पुकारा जाता था. खास बात ये है कि गौतम के फतेहपुर के गांव में न तो उस समय किसी मुस्लिम का घर था और न ही कोई मस्जिद थी.
श्याम प्रताप सिंह गौतम अपनी शुरुआती पढ़ाई फतेहपुर में अपने गांव से करने के बाद इंटरमीडियट की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद गए और उसके बाद बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए नैनीताल में दाखिला लिया और कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगे. बीएससी के फाइनल एयर में उनके पैर में चोट लग गई, जिसके बाद उनके हॉस्टल के कमरे के पड़ोस में रहने वाले नासिर खान ने उनकी सेवा की.
नैनीताल में गौतम ने इस्लाम धर्म अपनाया था
नासिर खान बिजनौर के रहने वाले थे और वो भी उसी दौरान नैनीताल कॉलेज में पढ़ रहे थे. नासिर खान अपनी साइकिल से श्याम प्रताप गौतम को बैठाकर डॉक्टर के यहां इलाज के लिए ले जाया करते थे. इस तरह से उनके बीच दोस्ती काफी गहरी हो गई. नासिर खान हर मंगलवार को गौतम को मंदिर भी ले जाया करते थे. इस तरह से दोनों लोगों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया और नासिर खान ने उन्हें तमाम इस्लामिक किताबें पढ़ने के लिए दीं. यह सिलसिला डेढ़ से दो साल तक चला. इसी कड़ी में गौतम ने कुरान भी पढ़ी, जिसके बाद उन्होंने अपना धर्म बदलने का फैसला किया.
साल 1984 में नैनीताल में ही एमएससी की पढ़ाई करते हुए उन्होंने हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया. धर्मांतरण करने के बाद श्याम प्रताप गौतम से उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमर गौतम रख लिया. इसके बाद से उन्होंने अपने कॉलेज और हॉस्टल में धर्म बदलने की बात को सार्वजनिक कर दिया. बाद में उमर गौतम ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से इस्लामिक स्टडीज में एमए किया.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि पिछले एक साल में 350 लोगों का धर्मांतरण कराया गया है. नोएडा के एक मूक बधिर स्कूल के भी 18 बच्चों का धर्मांतरण कराया गया. अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है.
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