5 अगस्त को हैदराबाद के अमीनपुर में एक महिला और उसके दोस्त पर भीड़ ने हमला कर दिया. यह घटना सुबह 9 बजे हुई, जब एक निजी एजेंसी के डॉग कैचर्स कुत्तों को पकड़ने आए थे. महिला पंचमी भट्टाचार्य और उनके दोस्त करण सुरैल ने अधिकारियों से उनके आदेश के बारे में पूछा, जिसके बाद वहां के स्थानीय लोगों ने उन्हें धमकाना और मारना शुरू कर दिया. इस घटना में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए.
पंजमी भट्टाचार्य पिछले तीन साल से पीजेआर एनक्लेव, मियापुर में आवारा कुत्तों की देखभाल कर रही हैं. 5 अगस्त को जब कुत्तों को पकड़ने के लिए एक टीम वहां पहुंची तो पंचमी और उनके दोस्त करण सुरैल ने अधिकारियों से उनके आदेश के बारे में पूछा.
वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन पर कुत्तों को बीमारी फैलाने और हिंसक होने का आरोप लगाया. कुछ ही देर में 25-30 लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला कर दिया.
'हम देख लेंगे...'
पंचमी ने बताया कि जब वे अधिकारियों से बात कर रही थीं, तभी एक शख्स ने पीछे से उनके बाल खींचा और उन्हें जमीन पर गिरा दिया. उनके दोस्त करण जब उन्हें बचाने आए तो उन पर भी हमला किया गया और लात-घूसों से मारा गया. करण का चेहरा खून से लथपथ हो गया था. इसके बाद एक शख्स जो खुद को पार्षद बता रहा था, वहां आया और उसने धमकी देते हुए कहा, "तुम्हें जो भी लीगल एक्शन लेना है ले लो. हम देख लेंगे."
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चार घंटे बाद पहुंची पुलिस...
पंचमी भट्टाचार्य ने 9:30 बजे पुलिस के इमरजेंसी नंबर पर फोन किया, लेकिन उन्होंने 'कुत्तों के मामले' में आने से इनकार कर दिया. जब पंचमी ने खुद पर हमला होने की बात कही, तो वे आने को तैयार हुए. लेकिन बाद में उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि यह इलाका अमीनपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है. आखिरकार, पुलिस 1 बजे मौके पर पहुंची, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. पंचमी ने बताया कि पुलिस अधिकारी ने उनसे उनके और करण के बीच के रिश्ते के बारे में पूछा.
पुलिस का लापरवाही के आरोप
पंचमी और करण ने कई बार पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बाद में उन्होंने एक अस्पताल में अपना इलाज कराया, जहां पुलिस ने मेडिको-लीगल केस दर्ज किया, लेकिन उस पर भी कोई फॉलो-अप नहीं हुआ. पुलिस पर आरोप है कि इस मामले को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया और उनकी शिकायत पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया. एक डीएसपी रैंक के अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोग कुत्तों के काटने के डर से ऐसा कर रहे थे.
पीड़ित महिला पंचमी ने कहा कि यह हमला इस बात का सबूत है कि कैसे दूर की एक घटना (नेरड़मेट में कुत्ते के काटने की घटना) के दुष्प्रचार कर भीड़ को भड़काया जा सकता है. लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा चोट इस बात से पहुंची कि पुलिस ने कार्रवाई करने में देरी की और एक पार्षद ने उन्हें धमकी दी. इस घटना के बाद पंचमी और करण दोनों सदमे में हैं.
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बता दें कि यह घटना तब सामने आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर इलाके में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर फिर से विचार करने के लिए तीन जजों की बेंच की बनाई है. इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़ने का आदेश जारी किया था. कोर्ट का आदेश आने के बाद पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों ने इस आदेश पर नाराजगी जताई.