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Who was DP Tripathi? राजीव गांधी का वो करीबी जिसने सोनिया के विरोध में छोड़ी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पैदा हुए डीपी त्रिपाठी की गिनती एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं में होती थी. लंबी बीमारी के बाद 67 साल की उम्र में उनका निधन हुआ.

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ डीपी त्रिपाठी (फाइल फोटो- Facebook)
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ डीपी त्रिपाठी (फाइल फोटो- Facebook)

  • पूर्व सांसद और एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी का निधन
  • लंबी बीमारी के बाद 67 साल की उम्र में निधन
  • कई किताबें भी लिख चुके थे डीपी त्रिपाठी

राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद डीपी त्रिपाठी (देवी प्रसाद त्रिपाठी) का गुरुवार को निधन हो गया. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पैदा हुए डीपी त्रिपाठी की गिनती एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं में होती थी. लंबी बीमारी के बाद 67 साल की उम्र में उनका निधन हुआ. बतौर छात्र नेता अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले डीपी त्रिपाठी एक नेता होने के साथ-साथ स्कॉलर भी थे. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है.

राजीव के करीबी, सोनिया के विरोधी

डीपी त्रिपाठी राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता थे और राज्यसभा से सांसद थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे. मूल रूप से उत्तर प्रदेश से आने वाले डीपी त्रिपाठी का जन्म 29 नवंबर, 1952 में हुआ था.

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जब डीपी त्रिपाठी राष्ट्रीय राजनीति में आए तो कांग्रेस के साथ जुड़े. कांग्रेस ज्वाइन करने के कुछ समय बाद ही उनकी अलग पहचान बनी और वह राजीव गांधी के करीबियों में गिने जाने लगे. भले ही डीपी त्रिपाठी की गिनती पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबियों में होती हो लेकिन उन्होंने कांग्रेस पार्टी को तब छोड़ दिया जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद की रेस में आगे आईं.

शरद पवार ने जब सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने का मुद्दा उठाया, तो डीपी त्रिपाठी ने भी उनके साथ ही कांग्रेस छोड़ दी. साल 1999 में उन्होंने कांग्रेस को छोड़ा और एनसीपी ज्वाइन कर ली. वह एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव थे और सीट बंटवारे में उनका काफी अहम रोल भी रहा.

जब राज्यसभा में उठाया सेक्स का मुद्दा

डीपी त्रिपाठी की गिनती उन नेताओं में होती है जो राजनीति के साथ-साथ स्कॉलर भी रहे. साल 2018 में जब राज्यसभा से बतौर सांसद उनकी विदाई हो रही थी, तब उन्होंने एक ऐसे मसले पर बात की जिसने हर किसी को चौंका दिया. अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि संसद में सेक्स पर बात क्यों नहीं होती?

उन्होंने कहा था कि सदन को उन मुद्दों पर भी चर्चा करनी चाहिए, जिससे समाज चर्चा करने से घबराता है. इनमें सेक्स सबसे ऊपर आता है, जिस देश ने दुनिया को कामसूत्र दिया हो वही आज इस पर चर्चा से क्यों घबराता है.

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फैज़ को लेकर लिखी थी किताब

डीपी त्रिपाठी ने कई किताबें भी लिखीं, जो राजनीति के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों को लेकर थीं. 1973 में उनकी सबसे पहली किताब आई ‘प्रारूप’ जिनमें हिंदी कविताओं का संग्रह था, इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तानी शायर फैज़ अहमद फैज़ को लेकर भी किताब लिखी.

डीपी त्रिपाठी द्वारा लिखी गई किताबें... (राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी)

•    प्रारूप (हिंदी कविताओं का संग्रह) 1973

•    कांग्रेस और आजाद भारत, 1985

•    जवाहर शतकाम (संस्कृत कविता) 1989

•    सेलिब्रेटिंग फैज़ 2011

•    नेपाल इन ट्रांजेशन, अ वे फॉरवर्ड 2011

•    भारत-चीन रिलेशन्स, फ्यूचर प्रेसप्रेक्टिव 2011

•    इंडियन इकॉनोमी, 2012

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