लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की, मध्य प्रदेश के विदिषा संसदीय क्षेत्र में, 'संजीवनी योजना' नौकरशाही की अनदेखी की भेंट चढ़ गई.
सरकार और नौकरशाही के रवैए से परेशान होकर उन्होंने इस योजना को एक गैर-सरकारी संगठन के हवाले कर दिया. राज्य के विदिषा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित सांसद सुषमा ने लगभग दो वर्ष पूर्व अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को घर के द्वार पर ही बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराने के लिए संजीवनी चलित चिकित्सा वाहन (चलित चिकित्सालय) योजना शुरू की थी. इस योजना के लिए उन्होंने सांसद निधि से लगभग पौने दो करोड़ रुपये जारी किए थे, जिनसे आठ एम्बुलेंस खरीदे गए थे.
सुषमा के संसदीय क्षेत्र विदिषा में विदिषा के अलावा रायसेन व देवास जिले के मतदाता भी आते हैं. संजीवनी योजना इन तीनों जिलों के लिए थी. नेता प्रतिपक्ष ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय को दी थी. लेकिन वह अपेक्षा के अनुरूप लोगों की जरूरतें पूरी नहीं कर पाया. इसके बाद उन्होंने इसे जिलाधिकारियों के सुपुर्द किया. जिलाधिकारी भी ठीक तरह से योजना को संचालित नहीं कर पाए, जिसके बाद अंतत: सुषमा ने यह योजना राज्य में 108 योजना को संचालित करने वाले गैर-सरकारी संगठन के हवाले कर दी.
रायसेन में गुरुवार को आयोजित एक समारोह में जब सुषमा ने इसकी घोषणा की तो उन्होंने सरकार व जिला प्रशासन की अनदेखी का खुलकर जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह हर माह इस योजना की समीक्षा करती थीं, जिससे उन्हें पता चलता था कि महीने में कभी 10 दिन तो कभी कुछ उससे ज्यादा दिन ही एम्बुलेंस चल पाती है, और बाकी दिन खड़ी रहती हैं. कभी चिकित्सक तो कभी अन्य कर्मचारी की कमी का हवाला देकर एम्बुलेंस को कहीं नहीं भेजा जाता था.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के इस बयान ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर सफाई दी है कि सुषमा उनकी वरिष्ठ नेता हैं और उनकी इच्छा पूरी करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी.
वहीं, राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अजय सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार होने के बावजूद बीजेपी की वरिष्ठ नेता के साथ साथ ऐसा हुआ है तो अन्य योजनाओं का क्या हाल होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.