यह थोड़ी चकित करने वाली बात लग रही है, लेकिन एक नई स्टडी में यह दावा किया गया है कि दक्षिण भारत का मरुस्थलीकरण लगातार बढ़ रहा है. देश की विशाल जनसंख्या की खाद्य जरूरतों की पूर्ति के लिए दक्षिण भारत का भी महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसे में वहां के राज्यों में बढ़ता मरुस्थलीकरण चिंता का विषय है.
'करेंट साइंस जर्नल' में प्रकाशित वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है. इस स्टडी में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में मरुस्थलीकरण की स्थिति के बारे में मैप भी दिए गए हैं. इस स्टडी में कहा गया है कि संसाधनों के खराब प्रबंधन और अन्य वजहों से उर्वर जमीन भी बंजर बनती जा रही है. यह काफी चिंता की बात है.
इन मैप को साल 2003-2005 और 2011 से 2013 तक के दौर के रिमोट सेंसिंग डेटा के आधार पर तैयार किया गया है. स्टडी के अनुसार, इस दौरान आंध्र में 14.35 फीसदी, कर्नाटक में 36.24 फीसदी और तेलंगाना में 31.40 फीसदी भौगोलिक इलाका मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया से प्रभावित है.
स्टडी के अनुसार, इस दौरान आंध्र प्रदेश के मरुस्थलीकरण में 0.19 फीसदी, कर्नाटक में 0.05 फीसदी और तेलंगाना के मरुस्थलीकरण में 0.52 फीसदी की बढ़त हुई है.
यह स्टडी नेशनल ब्यूरो ऑफ सॉइल सर्वे ऐंड लैंड यूज प्लानिंग और स्पेस अप्लीकेशंस सेंटर के द्वारा की गई. स्टडी में कहा गया है, 'मरुस्थलीकरण की गंभीरता को समुचित कृषि और भूमि प्रबंधन के दस्तूर अपना कर कम किया जा सकता है.'
मरुस्थलीकरण के ज्यादा जोखिम वाले इलाकों की पहचान कर ली गई है. इनकी नियमित रूप से निगरानी होनी चाहिए और इस प्रक्रिया को रोकने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए.
(Mail Today से साभार)