11 साल का एक बच्चा स्टैनफर्ड और MIT जैसे वर्ल्ड क्लास के कोर्स पढ़ता है और साइंस के तमाम प्रश्नों को तुरंत सुलझा देता है. बिजनेस न्यूज पेपर ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक इस चमत्कारिक बच्चे का नाम साद नासेर है और इसने हाल ही में एक बड़ा पुरस्कार भी जीता है.
अब यह बच्चा लॉस एंजिलिस में होने वाले इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा. अभी उसने दिल्ली में इंटेल आईआरआईएस फेयर अवॉर्ड जीता है. यह पुरस्कार शोध और नई खोज के लिए दिया जाता है. हाल ही में उसने दिल्ली के योजना भवन में सैम पित्रोदा से मुलाकात की और उनके कठिन वैज्ञानिक प्रश्नों का उत्तर दिया. उसके जवाबों से लोग दंग रह गए.
नासेर विलक्षण बुद्धि वाला बालक है. उसने एक साल की उम्र में खिलौनों को अंदर से देखना शुरू किया था, 2 साल की उम्र में वह अपने सभी खिलौनों और गैजेट को खोल लेता था. 5 साल की उम्र में वह जावा प्रोग्रामिंग पर अपने पिता की किताबें पढ़ लेता था और 7 साल की उम्र में उसने C++ की किताब पूरी पढ़ ली. पिछले साल उसने डेटाबेस और क्रिप्टोग्राफी पर स्टैनफर्ड ऑनलाइन कोर्स किया था. अब साद सांख्यिकी, सर्किट्स और इलेक्ट्रॉनिक तथा कंप्यूटेशनल नीरोसाइंसेज की पढ़ाई ऑनलाइन कर रहा है और वह भी एमआईटी और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से.
सैम पित्रोदा ने उसके बारे में कहा कि वह जीनियस है. वह MIT से जो पढ़ाई कर रहा है वह बहुत कठिन है. पित्रोदा भारत सरकार के नेशनल इनोवेशन काउंसिल के चेयरमैन हैं. नासेर ने साइंस और प्रोग्रामिंग का अद्भुत ज्ञान पाया है. वह अपने से कहीं बड़ी उम्र के इंजीनियरों को निरुत्तर कर देता है. उसे सर्किट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया बेहद पसंद है. वह इनके कठिन से कठिन विषयों को तुरंत समझ जाता है.
न्यूज पेपर ने साद के अद्भुत ज्ञान की तुलना मोजार्ट, पाब्लो पिकासो और श्रीनिवास रामानुज से की है. उसका कहना है कि ऐसे बच्चे दुनिया में विरले होते हैं. साद नासेर के माता-पिता दर्दाना और परवेज नासेर को बहुत समय बाद अपने बच्चे के जीनियस होने का पता चला. वे दोनों अपने घर में टीवी नहीं रखते हैं ताकि बच्चे उसे देखकर सपना समय ना बर्बाद करें. साद का एक और भाई है जिसका नाम रेहान है. उसकी इच्छा है कि वह एक बहुत बड़ा साइंटिस्ट और खोजी बने. उसके हीरो टेस्ला मोटर्स के सीईओ और स्पेस एक्स के संस्थापक एलॉन मस्क हैं.