राज्यसभा सचिवालय विभिन्न सुझावों पर विचार-विमर्श करने के बाद मार्शल के लिए एक नया ड्रेस कोड लेकर आया था, लेकिन सूत्रों ने बताया कि सेना के पहनावे से मिलती-जुलती ड्रेस स्वीकार नहीं होगी.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) ने इस ड्रेस को तैयार किया है. मार्शल की ड्रेस को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न विधानसभाओं के मार्शल के पहनावे की स्टडी की गई थी. संसद सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में मार्शल की ड्रेस को सबके सामने रखा गया था. किसी ने इसकी शिकायत नहीं की. यहां तक कि कई लोगों ने तारीफ भी की.
ड्रेस का कलर हरा नहीं नीला है. अब बताया जा रहा है कि नई यूनिफॉर्म डिजाइन कराई जाएगी और संभवतः एनआईडी ही नया डिजाइन तैयार करेगी. कोई भी मार्शल अब टोपी नहीं पहन रहा है जिस पर लोगों को प्रमुख आपत्ति की थी.
लोगों की शिकायतों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया था. यहां तक कि एक सांसद ने भी चिट्ठी लिखी थी और अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी चिट्ठी में यह लिखा था कि राज्यसभा के मार्शल की ड्रेस सेना से मिलती-जुलती है.
आम तौर पर उच्च सदन की बैठक, आसन की मदद करने वाले कलगीदार पगड़ी पहने किसी मार्शल के सदन में आकर यह पुकार लगाने से शुरू होती है कि 'माननीय सदस्यो, माननीय सभापति जी'.
मगर, बीते सोमवार को इन मार्शलों के सिर पर पगड़ी की बजाय नीले रंग की 'पी-कैप' थी. साथ ही उन्होंने नीले रंग की आधुनिक सुरक्षाकर्मियों वाली वर्दी पहन रखी थी. इस बारे में किए गए उच्च स्तरीय फैसले के बाद मार्शल के लिए जारी ड्रेस कोड के तहत सदन में तैनात मार्शलों को कलगी वाली सफेद पगड़ी और पारंपरिक औपनिवेशिक परिधान की जगह अब गहरे नीले रंग की वर्दी और कैप को तय किया गया था.
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार पिछले कई दशकों से चल रहे इस ड्रेस कोड में बदलाव की मांग मार्शलों ने ही की थी. सभापति सहित अन्य पीठासीन अधिकारियों की सहायता के लिए लगभग आधा दर्जन मार्शल तैनात होते हैं.
यूनिफॉर्म की समीक्षा के दिए थे आदेश
बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 18 नवंबर को हुई और इस दिन आसन की सहायता के लिए मौजूद रहने वाले मार्शल एकदम नई वेषभूषा में नजर आए. इन मार्शलों ने सिर पर पगड़ी की बजाय ‘पी-कैप’ और आधुनिक सुरक्षाकर्मियों वाली वर्दी धारण कर रखी थी जिसका रंग नीला था. बहरहाल उनकी इस नई वर्दी पर कुछ राजनीतिक नेताओं की टिप्पणियों के बाद सभापति ने इसकी समीक्षा के आदेश दे दिए थे.