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पृथ्वी-दो प्रक्षेपास्त्र का सफल प्रायोगिक परीक्षण

भारत ने स्वदेश निर्मित परमाणु आयुध ले जाने एवं 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-दो प्रक्षेपास्त्र का चांदीपुर परीक्षण रेंज से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया.

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भारत ने स्वदेश निर्मित परमाणु आयुध ले जाने एवं 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-दो प्रक्षेपास्त्र का चांदीपुर परीक्षण रेंज से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. रक्षा सूत्रों ने बताया कि जमीन से जमीन पर मार करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र को सुबह नौ बजकर 14 मिनट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के काम्प्लेक्स-3 स्थित एक सचल प्रक्षेपक से साल्वो मोड में छोड़ा गया.

आईटीआर के निदेशक एम वी के वी प्रसाद ने कहा, ‘यह मिशन 100 प्रतिशत सफल रहा और यह बिल्कुल सटीक प्रक्षेपण था.’ सूत्रों ने बताया कि प्रक्षेपास्त्र को निर्माण भंडार से क्रम रहित चुना गया था और पूरी परीक्षण प्रक्रिया को विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा अंजाम दिया गया. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी अभ्यास कवायद के रूप में की.’ प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपण की सफलता की घोषणा करने से पहले प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपणपथ पर डीआरडीओ के रडार, इलेक्ट्रो-आप्टिकल निगरानी प्रणाली और ओडिशा के तट पर स्थित टेलीमेट्ररी स्टेशनों की मदद से नजर रखी गई.

सूत्रों ने कहा, ‘बंगाल की खाड़ी में तैनात एक पोत पर स्थित दल इसके प्रदर्शन पर नजर रखी.’ एक रक्षा सूत्र ने कहा कि वर्ष 2003 में भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया पृथ्वी-दो प्रक्षेपास्त्र का विकास डीआरडीओ द्वारा भारत के प्रतिष्ठित समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत किया गया है जो कि अब एक प्रमाणिक प्रौद्योगिकी है.

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सूत्र ने कहा, ‘परीक्षण एसएफसी के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था जिसकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने की.’ सूत्रों ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण परीक्षणों से स्पष्ट रूप से किसी संभावित घटना से निपटने को लेकर भारत की तैयारी जाहिर होता है. इसके साथ यह भारत के सामरिक जखीरे की इस प्रतिरोधक प्रणाली की विश्वसनीयता स्थापित करता है.

पृथ्वी 500 किलोग्राम से एक हजार किलोग्राम तक आयुध ले जाने में सक्षम है तथा तरल ईंधन वाले दो इंजनों से संचालित होती है. इसमें सही पथ पर ले जाने के लिए एक उन्नत निर्देशित प्रणाली लगी हुई है.

पिछली बार पृथ्वी-दो का सफल परीक्षण इसी स्थल से 12 अगस्त 2013 को किया गया था.

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