अभिनव बिंद्रा को साल के आखिर में होने वाले दो विश्व कप के लिये ट्रायल से राहत मिलने के मद्देनजर अब ‘गोल्डफिंगर’ समरेश जंग ने कहा है कि किसी एक को नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छे स्कोर बना रहे बाकी निशानेबाजों को भी यह छूट मिलनी चाहिये.
मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में पांच स्वर्ण सहित सात पदक जीतने वाले जंग ने कहा, ‘‘अभिनव को रियायत मिलना अच्छी बात है लेकिन यह सिर्फ एक निशानेबाज के लिये नहीं होनी चाहिये. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गगन नारंग, संजीव राजपूत और कई निशानेबाज लगातार अच्छे स्कोर कर रहे हैं. उनके प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी ट्रायल से राहत दी जानी चाहिये.’’
उन्होंने यह भी कहा कि इसका फैसला टूर्नामेंट से पहले ही हो जाना चाहिये ताकि विदेश में प्रतियोगिताओं में भाग लेने के सभी को समान अवसर मिल सकें. बीजिंग ओलंपिक में भारत के लिये व्यक्तिगत स्पर्धा का एकमात्र स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा को ट्रायल में उपस्थित नहीं रहने के कारण भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ ने 17 से 28 फरवरी तक यहां होने वाली राष्ट्रमंडल निशानेबाजी चैम्पियनशिप, सिडनी में 20 से 28 मार्च और बीजिंग में 16 से 25 अप्रैल तक होने वाले आईएसएसएफ विश्व कप से बाहर कर दिया था.
इस पर बिंद्रा ने निशानेबाजी छोड़ने की धमकी दे डाली. मामला तूल पकड़ने के बाद एनआरएआई ने उन्हें अमेरिका में मई और बेलग्राद में जून-जुलाई में होने वाले विश्व कप के लिये ट्रायल से राहत दे दी. समरेश ने पांच अन्य पिस्टल निशानेबाजों के साथ मिलकर अपने खर्च से उक्रेन के कोच अनातोली पोडुब्नी की सेवायें लेने के फैसले को भी सही ठहराते हुए कहा कि यह कदम नहीं उठाने पर राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में बड़ा अवरोध पैदा हो जाता. उन्होंने कहा, ‘‘हमने काफी इंतजार कर लिया था. हंगरी के जाबा ग्योरिक के बीजिंग ओलंपिक के बाद जाने से लेकर अब तक हमारे पास कोई कोच नहीं था. आखिर कब तक इंतजार करते. हमारे यहां प्रशासक ऐन वक्त पर ही सुध लेते हैं.’’
खेलमंत्री एम एस गिल के इस बयान पर कि निशानेबाजों को हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिये थी, समरेश ने कहा, ‘‘दूसरे देश तैयारी के मामले में हमसे काफी आगे हैं. उनके पास एक नहीं, कई कोच हैं. एक कोच 50 निशानेबाजों को तो नहीं सिखा सकता. सिर्फ पिस्टल शूटिंग की ही बात करें तो इसमें पांच स्पर्धायें हैं लिहाजा हर निशानेबाज पर व्यक्तिगत ध्यान देने की जरूरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें कोच की जरूरत थी सो हमने खुद पहल की. हमें इसका कोई मलाल नहीं है और हम सहयोग की अपेक्षा भी नहीं कर रहे.’’ मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे जंग ने स्वीकार किया कि दिल्ली में उस उपलब्धि को दोहराना आसान नहीं होगा. जंग ने कहा, ‘‘मेलबर्न में मैने चारों स्पर्धाओं में भाग लिया था. इस बार प्रतिस्पर्धा काफी है और बहुत अच्छे निशानेबाज हमारे पास हैं. ऐसे में लगता नहीं कि मैं चारों स्पर्धाओं में भाग लूंगा लेकिन अच्छा प्रदर्शन करके चयनित होने की पूरी कोशिश करूंगा.’’
उन्होंने कहा कि अक्तूबर में होने वाले इन खेलों से पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भागीदारी के मौके अपेक्षाकृत कम है लेकिन भारतीय निशानेबाजों की तैयारियां अच्छी हैं और अधिक पदकों की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेलों से पहले चार विश्व कप हैं. इनमें हमें खुद को आंकने का मौका मिलेगा. पिछले कुछ साल में काफी प्रतिभाशाली निशानेबाज उभरे हैं लिहाजा मुझे यकीन है कि टीम के तौर पर हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे.’’ निशानेबाजों के लिये हथियारों और कारतूसों के आयात की प्रक्रिया उदार बनाने के खेल मंत्रालय के प्रस्ताव के बारे में पूछने पर जंग ने कहा, ‘‘अभी यह प्रस्ताव ही है. देखते हैं कि अमली जामा पहनने पर इसका क्या स्वरूप होता है और इससे कितना फायदा मिलता है.’’