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मुझे नहीं लगता 2019 में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलेगा: पवार

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा. 2004 की तरह एक बार फिर गठबंधन की सरकार बनेगी. मौजूदा सरकार के खिलाफ परिवर्तन का माहौल है.

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मुंबई मंथन में शरद पवार (फोटो-aajtak)
मुंबई मंथन में शरद पवार (फोटो-aajtak)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने आजतक के कार्यक्रम मुंबई मंथन में कहा कि 2019 में केंद्र और राज्य में परिवर्तन होने जा रहा है. जिनके हाथों में आज हुकूमत में है, वो नहीं रहेगी. मुझे नहीं लगता है कि 2019 में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलगा.

शरद पवार ने कहा कि 2004 में जिस प्रकार किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. चुनाव के बाद जिस प्रकार मनमोहन सिंह के समर्थन में सभी दल आए और वो प्रधानमंत्री बने. 2004 जैसी ही स्थिति थी, वही हालत 2019 में रहने वाली है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार के सवाल पर पवार ने कहा कि मोदी का व्यक्तित्व पूर्व बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नहीं है. देश बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी चुनावों में देश की जनता परिवर्तन चाहती है और संभव है कि देश में गठबंधन की सरकार बनने जा रही है.

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पवार ने कहा कि मौजूदा जमाना गठबंधन का है. 2019 में गठबंधन की सरकार बनेगी. चुनाव के बाद तय होगा कि कौन नेतृत्व कौन करेगा?

राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम पहले साफ कर चुके हैं. कांग्रेस देश में बदलाव चाहती है और वह प्रधानमंत्री पद पर किसी शर्त के साथ परिवर्तन नहीं देख रही है.

मायावती और महागठबंधन के सवाल पर पवार ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी महागठबंधन की बात नहीं की है. मौजूदा स्थिति में गैर बीजेपी दलों के एकजुट होने की स्थिति को पवार ने नकारते हुए कहा कि अलग-अलग राज्यों में बीजेपी के विरोध में अलग-अलग पार्टियां खड़ी रहेंगी. वहीं महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आएगी और बीजेपी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी रहेगी.

बता दें कि 2004 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर आई थी. इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए का गठन हुआ और कई क्षेत्रीय दलों ने समर्थन किया था. इसके बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी थी. वहीं अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को हार मिली थी.

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