नरेन्द्र मोदी 2.0 सरकार ने जिस प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी की है, उसमें किसानों की बड़ी भूमिका है. एक उम्मीद के साथ देश के अन्नदाताओं ने चुनाव में बीजेपी का साथ दिया. सरकार भी किसानों की समस्याओं को लेकर सक्रिय दिख रही है. वैसे पिछले कार्यकाल में ही मोदी सरकार ने किसानों को लेकर कई बड़े कदम उठाए, लेकिन क्या 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसानों की हालत सुधरी है? आजतक-कार्वी इनसाइट्स द्वारा किए गए देश का मिजाज सर्वे से इसकी जानकारी मिली है.
किसानों की सेहत कितनी सुधरी?
आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ मिलकर देश का मिजाज जाने के लिए एक सर्वे किया. अगस्त महीने में हुए इस सर्वे में 50 फीसदी जनता ने कहा कि मोदी सरकार में किसानों की हालत सुधरी है, जबकि इसी साल चुनाव से पूर्व जनवरी महीने में हुए सर्वे में केवल 20 फीसदी लोग मानते थे कि किसानों की सेहत सुधरी है. यानी पिछले 6 महीनों से किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसका असर अब सर्वे में दिख रहा है.

6 महीने में तेजी से बदला ग्राफ
इस सर्वे में 17 फीसदी लोगों ने कहा कि मोदी सरकार में किसानों की हालत पहले जैसी ही है, यानी कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि जनवरी-2019 के सर्वे में नाखुश लोगों की तादाद 43 फीसदी थी. यानी तेजी से पिछले 6 महीनों से किसानों की समस्या को लेकर लोगों का नजरिया बदला है.
अब भी 28 फीसदी लोग नाखुश
सर्वे में 28 फीसदी लोगों ने साफ कहा कि किसानों की स्थिति और बदतर हुई है. यानी ये लोग मोदी सरकार के उठाए कदम को नाकाफी मान रहे हैं, जबकि जनवरी-2019 में 34 फीसदी लोग मानते थे कि किसानों की स्थिति और बिगड़ी है. इसके अलावा सर्वे में 5 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. दरअसल, आजतक के ताजा सर्वे में किसानों के मोर्चे पर मोदी सरकार को राहत मिलती दिख रही है. एक तरह से जनवरी-2019 के मुकाबले अगस्त-2019 में सरकार के प्रति किसानों की समस्या को लेकर लोगों में विश्वास बढ़ा है.
19 राज्यों में किसानों की समस्या पर सर्वे
आजतक और कार्वी इनसाइट्स ने इस सर्वे के लिए 12,126 लोगों से साक्षात्कार किया, जिसमें 67 फीसदी साक्षात्कार ग्रामीण और 33 फीसदी शहरी लोग शामिल थे. इस सर्वे में देश के 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्रों और 194 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया. उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, राजधानी दिल्ली और पश्चिम बंगाल में यह सर्वे कराया गया. यह सर्वे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने से पहले हुआ था.