पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव से भारत को दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की मांग माने जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम जाधव तक निर्बाध पहुंच के लिए पूछ रहे हैं. हमें इस संबंध में जाधव से मिलने वाले अधिकारियों की रिपोर्ट मिलने का इंतजार है और रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकेगा.
कुलभूषण जाधव को दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की अनुमति दिए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि एक बार जब हम इस्लामाबाद से इस संबंध में रिपोर्ट प्राप्त करे लेंगे तो हम आपको जानकारी दे पाएंगे.
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2 भारतीय अफसर आज मिले
इससे पहले पाकिस्तान ने आज गुरुवार को जाधव के लिए दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की अनुमति दे दी थी. इसके बाद जाधव से मुलाकात करने के लिए दो भारतीय अधिकारी गए जिसमें चार्ज डी फेयर गौरव अहलूवालिया और पहले सचिव चेरुंग जेलियांग शामिल हैं.
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पाकिस्तान ने आज भारत की मांग पर कमांडर कुलभूषण जाधव को दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की अनुमति दे दी. विएना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस (वीसीआरसी) 1963 के तहत पाकिस्तान की ओर से पहला कॉन्सुलर एक्सेस 2 सितंबर 2017 को प्रदान किया गया था. तब कमांडर जाधव की मां और पत्नी को भी 25 दिसंबर 2017 को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी.
इससे पहले बीते दिनों पाकिस्तान की ओर से ऐसा दावा किया गया कि जाधव ने रिव्यू पिटीशन दायर करने से इनकार कर दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान का दावा दूरगामी है. भारत जाधव को बचाने के लिए सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है.
चाबहार पर प्रतिक्रिया देने से इनकार
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इरकॉन (IRCON) को दिसंबर 2019 में ज्वाइंट कमीशन की बैठक के बाद से अभी तक ईरान से चाबहार-जाहेदान रेलवे लाइन के बारे में प्रतिक्रिया का इंतजार है. 7 जुलाई को लाइन शुरू करने और ईरान की टिप्पणियों को लेकर कुछ भी नहीं कहा जाएगा.
विदेश मंत्रालय ने चाबहार-जाहेदान रेलवे लाइन से ईरान की ओर से भारत को हटाए जाने को लेकर कहा कि इरकॉन ने साइट निरीक्षण और विस्तार से चर्चा पूरी कर ली है. दिसंबर 2019 में ईरान के साथ एजेंसी को नामित करने को लेकर समीक्षा की गई थी और अब इसका इंतजार किया जा रहा है.
फरजाद बी ब्लॉक गैस फील्ड को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान ने सूचित किया है कि वे अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड की कोई सहभागिता नहीं है. इसलिए ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ईरान में फरजाद बी प्रोजेक्ट से हट गया है.
इस बीच, दायमेर भाषा बांध पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है कि केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग रहा है. उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के अंतर्गत भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ अपने विरोध और साझा चिंताओं को लगातार व्यक्त किया है.