scorecardresearch
 

मणिपुर के सियासी बवाल से कहीं गिर न जाए मेघालय की एनडीए सरकार?

मणिपुर में एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद सियासी बवाल जारी है. ऐसे में मेघालय में बीजेपी के समर्थन से चल रही एनपीपी सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि, एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने गुरुवार को कहा है कि मणिपुर की राजनीतिक स्थिति का मेघालय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

Advertisement
X
एनपीपी प्रमुख और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा
एनपीपी प्रमुख और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा

  • मणिपुर में बीजेपी सरकार पर छाया संकट
  • मेघालय में एनपीपी को बीजेपी का समर्थन

मणिपुर में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले गठबंधन से नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चारों मंत्रियों ने इस्तीफा देकर गठबंधन तोड़ लिया है, जिसके बाद बीजेपी सरकार मुश्किल में आ गई है. मणिपुर के सियासी बवाल से मेघालय में बीजेपी के समर्थन से चल रही एनपीपी सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि, एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने गुरुवार को कहा है कि मणिपुर की राजनीतिक स्थिति का मेघालय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

बता दें कि मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से बुधवार को उपमुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया है. ये चारों एनपीपी के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान भी कर दिया है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: राज्यसभा चुनाव के बीच कांग्रेस का रिवर्स ऑपरेशन लोटस, BJP सरकार पर संकट

मणिपुर के एनपीपी प्रमुख थांगमिलेन किपगेन ने कहा कि एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए हमने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है. किपगेन ने कहा कि राज्य में इबोबी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए नवगठित सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) को आमंत्रित करने की गुजारिश की है. कांग्रेस, एनपीपी, तृणमूल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों समेत एसपीएफ के सभी सदस्यों के समर्थन पत्र का भी जिक्र किया गया है.

बीजेपी के समर्थन ने मेघालय की एनपीपी सरकार

मणिपुर में बीजेपी सरकार एनपीपी और अन्य विधायकों के समर्थन से चल रही है. वहीं, मेघालय में एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा की अगुवाई वाली सरकार बीजेपी के सहयोग से चल रही है. अब जब मणिपुर में बीजेपी की सरकार से एनपीपी ने समर्थन वापस लेकर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का संकट बढ़ा दिया है तो क्या मेघालय की एनपीपी सरकार से बीजेपी अपना सहयोग वापस लेगी?

मेघालय सीएम का डैमेज कन्ट्रोल

मुख्यमंत्री कोनराड संगमा मेघालय में सहयोगी दलों को साधने में जुट गए हैं. गुरुवार को उन्होंने संवाददाता से कहा है कि मणिपुर के सियासी संकट का मेघालय की राजनीति पर कोई असर नहीं पडे़गा. उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटक्रम को लेकर मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) के गठबंधन सहयोगियों के साथ बुधवार को बैठक की गई और चर्चा कर सारे मामले को अवगत करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि सभी सहयोगियों को आश्वासन दिया है कि मणिपुर का मेघालय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

Advertisement

एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने कहा कि मणिपुर में बीजेपी के तीन विधायकों के इस्तीफा देने के बाद एनपीपी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. मणिपुर में मुख्यमंत्री के नेतृत्व को लेकर कुछ चिंताए थी और हाल ही में एनपीपी मंत्रियों के विभागों को ले लिया गया था, जिसकी वजह से यह परिस्थितियां बनी हैं.

ये भी पढ़ें: मणिपुर में गिर जाएगी BJP सरकार? गवर्नर के पाले में गेंद, HC के फैसले से बिगड़ा गणित

संगमा ने कहा कि इस संबंध में बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया गया था. हम इस मुद्दे को काफी हद तक हल करने की कोशिश कर कर रहे थे, लेकिन बीजेपी के तीन विधायकों के इस्तीफे से पूरा समीकरण बिगड़ गया है. एनपीपी विधायक अभी भी उनके संपर्क में होने का दावा किया है. हालांकि, एनपीपी प्रमुख के इस बयान को मेघालय में अपनी सरकार को बचाए रखने के तहत देखा जा रहा है.

मेघालय का समीकरण

मेघालय के 2018 विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. प्रदेश की कुल 60 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 21 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी. एनपीपी 19 सीट के साथ दूसरे नंबर थी. बीजेपी को दो सीटें मिली थी जबकि, यूडीपी के पास छह विधायक सहित अन्य को 17 सीटें हैं.

Advertisement

कोनराड संगमा एनपीपी के 19 विधायकों, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के छह, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के चार, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) और बीजेपी के दो-दो एवं एक निर्दलीय विधायक सहित कुल 34 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने में सफल रहे. वहीं, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सत्ता से दूर हो गई थी.

Advertisement
Advertisement