आखिरकार करीब 30 घंटे के बाद मुंबई की लाइफलाइन में जान आ ही गई. एक हजार से ज्यादा हड़ताली मोटरमैन ने अपना हड़ताल खत्म करने का एलान कर दिया.
शायद सरकार की सख्ती और सरकार की अपील दोनों ने मुंबई की लाइफलाइन को पटरी पर लाने में अहम भूमिका अदा की लेकिन इन 30 घंटों में मुंबई की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा. करीब 70 लाख मुसाफिरों की मुश्किलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार को भी हरकत में आना ही पड़ा.
राज्य सरकार को मुंबई के हड़ताली मोटरमैन पर एस्मा को लागू करना ही पड़ा. मुंबई में 150 मोटरमैन से ज्यादा की गिरफ्तारी हुई. सरकार ने अपने तेवर सख्त कर लिए थे. शायद इसी का नतीजा रहा कि मुंबई के हड़ताली मोटरमैन ने शाम के 5 बजने से पहले ही अपनी हड़ताल वापस लेने का एलान कर दिया.
इधर मुंबई से साढ़े 15 सौ किलोमीटर दूर दिल्ली में संसद में हड़ताल को लेकर हंगामे की गूंज सुनाई दी और कहना गलत नहीं होगा कि मोटरमैन की हड़ताल खत्म होने में इसका भी असर रहा. शिवसेना और बीजेपी के अलावा दूसरे दलों के नेताओं ने भी हड़ताल को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था.
उधर खुद मुंबई में भी हड़ताल को खत्म कराने के लिए एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मोटरमैन को शाम तक काम पर लौटने की चेतावनी दी थी. मुमकिन है कि राज ठाकरे की धमकी और एमएनएस के कार्यकर्ताओं के हंगामे से मोटरमैन भी आंदोलन वापस पर मजबूर हो गए हों.
एमएनएस की विरोधी शिवसेना भी शुरू से हड़ताल के विरोध में उतर आई थी. साफ है कि सरकार की सख्ती और सरकार की अपील दोनों ने मोटरमैन की हड़ताल को खत्म करने में भूमिका अदा की. एस्मा या फिर बातचीत से, उम्मीद समस्या के समाधान की थी और हुआ भी बिलकुल वैसा ही.