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कुष्ठ का हवाला दे तलाक लेना नहीं होगा आसान, बिल को मंजूरी

विधि राज्य मंत्री पी. पी. चौधरी ने कहा, कुष्ठ रोग अब एक उपचार योग्य बीमारी की श्रेणी में आ गया है. इसलिए कुष्ठ को तलाक का आधार बनाए जाने के प्रावधान को समाप्त किया जा रहा है.

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लोकसभा (फाइल फोटो)
लोकसभा (फाइल फोटो)

अब कुष्ठ रोग का हवाला देकर तलाक लेना आसान नहीं होगा. कुष्ठ को तलाक का आधार बनाने के प्रावधान को समाप्त करने के संबंध में लोकसभा ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी है. लोकसभा ने स्वीय विधि संशोधन विधेयक 2018 को सोमवार को मंजूरी दे दी. इसमें कुष्ठ को तलाक का आधार बनाने के प्रावधान को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है.

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि राज्य मंत्री पी. पी. चौधरी ने कहा, कुष्ठ रोग अब एक उपचार योग्य बीमारी की श्रेणी में आ गया है. इसलिए कुष्ठ को तलाक का आधार बनाए जाने के प्रावधान को समाप्त किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बारे में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक संकल्प को स्वीकार किया है. साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिश भी आई. इस संबंध में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी सामने आए हैं. ऐसे में इस संबंध में इस तरह के उपबंध को समाप्त करने की पहल की गई है.

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चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि कुष्ठ रोगों के मामले में पुनर्वास के लिए तेजी से प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए. बीजद के भर्तृहरि माहताब ने कहा कि कुष्ठ रोग का आज इलाज मुमकिन है. ऐसे में यह विधेयक महत्वपूर्ण है.

वहीं एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को कुष्ठ रोगों के बढ़ते मामले पर लगाम लगाने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह अधिनियम में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. चर्चा में टीआरएस के विनोद कुमार और माकपा के बदरूद्दोजा खान ने भी हिस्सा लिया.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इसमें विवाह विच्छेद अधिनियम 1869, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939, विशेष विवाह अधिनियम 1954 तथा हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि कुष्ठ के मरीजों को समाज से अलग किया गया था क्योंकि इसका निदान नहीं था और समाज उनके प्रतिकूल था. इस बीमारी का इलाज करने अके लिए गहन स्वास्थ्य देखभाल और आधुनिक चिकित्सा की उपलब्धता के चलते उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव आया है.

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अभी कुष्ठ रोग का पूर्णतः इलाज किया जा सकता है. लेकिन समाज में कुष्ठ रोग से ग्रस्त लोगों के प्रति पूर्वाग्रह बना हुआ है. ऐसे में इन उपबंधों को समाप्त करने के लिए विधेयक लाया गया है.

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