किसी संगीन जुर्म के मामले में संलिप्त 16 साल के किशोर को बालिगों की श्रेणी में शामिल करने के लिए किशोर न्याय कानून में संशोधन की केंद्र सरकार की पहल के बाद विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं और बुद्धिजीवियों का मानना है, कि केवल दंड देने के लिए किशोर को बालिग मानने की बजाए बालिग होने की उम्र को ही 16 साल कर देना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांता चावला ने इस बारे में कहा, ‘केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बाल विकास मंत्री के सुझाव पर इस बात को मंजूरी दे दी है कि घृणित अपराधों में शामिल 16 साल की आयु के किशोर को दण्ड देने के लिए बालिग माना जाएगा. केंद्र सरकार ने इसके लिए किशोर न्याय कानून में बदलाव को मंजूरी दे दी है.’
चावला ने कहा, ‘ऐसा हो जाने के बाद नाबालिग को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी न कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत. मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूं, कि अगर दंड देने के लिए 16 साल के किशोर को बालिग माना जा सकता है तो बाकी सभी कार्यों के लिए उसे बालिग क्यों नहीं मान लिया जाए. बेहतर तो यह होगा कि सरकार देश में बालिग होने की उम्र को कम कर 16 साल कर दे.’
दूसरी ओर राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व सदस्य संध्या बजाज ने कहा, ‘सबसे जरूरी यह जानना होता है कि किशोर ने किसी खास मंशा से अपराध किया है या नहीं और अगर किया है तो वह और जुर्म भी कर सकता है, ऐसे में उसे बालिग मानना चाहिए.’
संध्या बजाज ने बीजेपी उपाध्यक्ष से सहमति जताते हुए कहा, ‘बेहतर यह होगा कि सरकार 16 साल के बच्चों को हर काम के लिए बालिग मान ले और उसे बालिगों वाली हर सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, क्योंकि अगर जुर्म में किशोर बालिग हो सकता है तो फिर अन्य काम के लिए उसे दो साल और क्यों इंतजार करना चाहिए.’
चावला और संध्या दोनों ने कहा, ‘सरकार न केवल दंड देने के लिए बल्कि सभी काम के लिए 16 साल के किशोर को बालिग मान ले ओैर उसे मतदान का अधिकार, नौकरी पाने का अधिकार, ड्राइविंग लाइसेंस और विवाह आदि की अनुमति दे दी जाए.’ बीजेपी उपाध्यक्ष ने कहा, ‘बाल विकास मंत्रालय सभी कार्यों के लिए 16 साल की उम्र को बालिग मान ले, केवल फांसी लटकाने के लिए किशोर को बालिग नहीं माना जाना चाहिए.’
इससे पहले संध्या ने कहा, ‘सरकार को बच्चों के अधिकार के प्रति जागरुक होना चाहिए. देश में पहले से एक कानून है ‘केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट.’ अगर इस कानून का सही तरीके से पालन किया जाए और बच्चों का शुरू से ध्यान रखा जाए तो ऐसी घटनाएं होंगी ही नहीं.'
हरियाणा जनहित कांग्रेस की महिला शाखा की अध्यक्ष संध्या ने कहा, ‘मैं 16 साल की उम्र को बालिग माने जाने के कदम का स्वागत करती हूं, लेकिन यह केवल एक काम के लिए नहीं होना चाहिए. जब मैं आयोग की सदस्य थी तब भी मैंने बाल विकास मंत्री को पत्र लिख कर 16 साल तक के बच्चों को मतदान का अधिकार और नौकरी दिए जाने की सिफारिश की थी.’
प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. अजय शर्मा इस बारे में कहते हैं, ‘निश्चित तौर पर हर कार्य के लिए सरकार को बालिग होने की उम्र 18 साल से घटा कर 16 साल कर देनी चाहिए. अब 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाले बच्चे भी स्कूटर मोटरसाइकिल पर स्कूल जाते हैं या कोचिंग आदि में जाते हैं, क्योंकि बाइक फैशन बन चुका है. उनके पास लाइसेंस नहीं होने के कारण पुलिस उनसे पैसे लेती है. बच्चों के माता-पिता को भी इससे परेशानियों का सामना करना पड़ता है.’
उन्होंने कहा कि 16 साल के किशोर को बालिग केवल दंड देने के लिए मानने की बजाए उन्हें हर काम के लिए बालिग मान लिया जाए तो समाज से भ्रष्टाचार और अपराध को खत्म करने में सफलता मिलेगी.