केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर अब अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, साथ ही लद्दाख को भी अलग कर दिया गया है. लद्दाख अब बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. वहीं जम्मू-कश्मीर में अब दिल्ली की तरह विधानसभा होगी जिसका कार्यकाल 5 साल का होगा. मोदी सरकार ने भले ही धारा 370 को कमजोर कर दिया हो, लेकिन यह अभी भी लागू है.
जानिए 35A का इतिहास, आखिर जम्मू-कश्मीर में क्यों मचा है इस पर बवाल
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अपने बयान में कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इसके सभी खंडों को रद्द कर दिया जाएगा. दरअसल खंड एक भारत के राष्ट्रपति को कई अधिकार देता है. इसके तहत राष्ट्रपति जम्मू और कश्मीर के ‘राज्य विषयों’ के लाभ के लिए संविधान में “अपवाद और संशोधन” करने की ताकत रखता है. इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने इसके प्रावधानों को खत्म कर दिया है. हालांकि खंड 1 बना रहेगा.
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ये समझौता 1952 में भारत के प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ था. इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राज्य में 35A लागू किया था.
सरकार के आदेश का क्या मतलब है?
1. जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान नहीं होगा.
2.जम्मू-कश्मीर में अलग झंडा नहीं रहेगा.
3. जम्मू-कश्मीर में देश के और राज्यों के लोग ज़मीन ख़रीद सकेंगे.
4.जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल न हो कर 5 साल होगा.
5. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है यानी यह अब दिल्ली की तरह काम करेगा.
6. लद्दाख एक अलग राज्य बन गया है हालांकि वह सिर्फ चंडीगढ़ की तरह काम करेगा.
राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को ये प्रस्ताव पेश किया, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी हुई है. संसद में कांग्रेस ने इसका विरोध किया है और इस दिन को लोकतंत्र का काला दिन बताया है. हालांकि, संसद में कई पार्टियां ऐसी हैं जिन्होंने धारा 370 को कमजोर करने का समर्थन किया है.