स्लमडॉग मिलेनियर फिल्म के गीत जय हो के बोल लोगों को बेहद भाए. मोतियों जैसे वो बोल निकले थे, गुलजार साहब की कलम से. स्लमडॉग मिलेनियर को सुपरहिट का खिताब दिलाने में गीतकार गुलजार का योगदान भी कम नहीं है.
सफेद कुरता-पायजामा और चेहरे पर मीठी मुस्कान वाले गुलजार साहब की पूरी दुनिया में जय हो रही है. उनके गाने जय हो ने धूम मचा दी है. दुनिया भर में सिर्फ एक ही गूंज है. जय हो, जय हो. ऑस्कर में भी गूंज उठा गुलजार का जय हो...अब तो हर किसी की जुबान पर चढ़ चुका है जय हो गाना.
हमेशा से अपने गीतों में, अपनी फिल्मों में नए-नए प्रयोग के लिए जाने जाते हैं गुलजार. स्लमडॉग मिलेनियर में भी उन्होंने अपने बोलों में उस तबके का खास ख्याल रखा..जिसके ऊपर बनी है स्लमडॉग मिलेनियर. गीत के एक-एक बोल में गुलजार साहब ने जान लड़ा दी. शायद इसीलिए जय हो गाने ने गुलजार साहब को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार ऑस्कर तक पहुंचाया.
गुलजार की कलम से निकले जय हो गाने में आम आदमी की ठसक है, तो साहित्य का रंग भी इसीलिए गुलजार की कल्पना में आसमान जरीवाला शामियाना बन कर उभरा है.
गुलजार की जय आज भले ही उनके गीत की वजह हो रही हो लेकिन ये भी सच है कि गुलजार जैसा गीतकार शायद आज दूसरा कोई नहीं. उनके गीतों में इंसान का वो अंदरुनी पहलू भी उजागर होता है, जिसे नंगी आंख से भी देख पाना मुमकिन नहीं. स्लमडॉग मिलेनियर के दुनियाभर में मशहूर होने के पीछे गुलजार के गीतों का भी उतना ही हाथ है, जितना फिल्म के बाकी पहलुओं का.
भले गुलजार का नाम जय हो से ऑस्कर तक पहुंचा हो लेकिन गुलजार तो वो नाम है जिसकी जय पिछले कई दशकों से हो रही है और कई सदियों तक होती रहेगी.