चीन से जुड़े लद्दाख बॉर्डर पर करीब 255 किमी लंबे रूट पर अब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की ओर से दोबारा रोड बनाई जाएगी. बताया रहा है कि इसके पहले श्योक नदी के साथ बनाई गई सड़क सेना के इस्तेमाल के लायक नहीं है, इसलिए दोबारा इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है.
2011 में CVC ने चीफ टेक्निकल एक्जामिनर (CTE) की जांच में पाया था कि डारबक-श्योक-दौलतबेग ओल्डी को पहाड़ों के बजाय समतल क्षेत्र में बनाया गया था. जबकि 320 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट का आधा पैसा पहाड़ों को काटने में खर्च किया गया था.
PMO की निगरानी में बनी थी सड़क
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ओरिजनल सड़क का जो हिस्सा 2000 से 2012 के बीच PMO की निगरानी में बनाया गया था, अब उसे दोबारा नए तरीके से शुरू किया जा रहा है. यह काम 2017 तक पूरा होने की उम्मीद है. सड़क बनाने का काम 2012 में खत्म होना था लेकिन इसकी डेडलाइन 2014 तक बढ़ा दी गई थी.
नदी के किनारे सड़क बनाने से हर साल गर्मी में यह खराब हो जाती है, क्योंकि ऊपरी हिस्से से बड़ी मात्रा में बर्फ पिघलती है. इसके चलते जून से अक्तूबर तक पानी का स्तर बढ़ने के कारण रास्ता बंद हो जाता है. रिटायर्ड ले. जनरल एचएस पनाग ने कहा कि उन्होंने 2007-08 में ही इस बात की जानकारी दी थी कि सड़क इस्तेमाल सिर्फ सर्दियों में ही किया जा सकता है. हाल ही में क्षेत्र का दौरा करने वाले सेना के अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की है.