भारत के पास लगभग 30 सुपरकंप्यूटर हैं जो कि मुख्यतया भारतीय विज्ञान संस्थान, आईआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में हैं. अब बढ़ती आवश्यकता के मद्देनजर सरकार ने सुपर कंप्यूटिंग मिशन को प्रोत्साहन देने का निर्णय किया है और इस पर 4500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि अग्रणी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास वैश्विक प्रौद्योगिकी के रुझानों और बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने सुपर कंप्यूटिंग मिशन को प्रोत्साहन देने का निर्णय किया है.
7 वर्षों की अवधि के लिए 4500 करोड़ रुपये के परिव्यय से 'राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) क्षमता और योग्यता निर्माण' संबंधी एक प्रस्ताव सी-डैक और भारतीय विज्ञान संस्थान द्धारा संयुक्त रुप से तैयार किया गया है.
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की राष्ट्रीय ग्रिड कंप्यूटिंग पहल के एक भाग के रूप में सी-डैक के पास सुपर कंप्यूटर ग्रिड गरुड़ (वितरित वास्तुकला के इस्तेमाल से संसाधन तक वैश्विक अभिगम) के प्रचलन का अनुभव है.
सुपर कंप्यूटिंग कार्य कलापों को शुरू करने के लिए वर्ष 2014-15 में राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन के लिए 42.50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है.
भारत के पास लगभग 30 सुपरकंप्यूटर हैं जिनमें से अधिकांश उच्च अधिगम वाले संस्थानों जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, आईआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं जैसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), सी-डैक सीएआईआर-चतुर्थ प्रतिमान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम रेंज मौसम पूवार्नुमान केन्द्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) आदि में स्थित हैं.
सुपर कंप्यूटिंग मिशन के अंत में भारत की स्थिति संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे सुपरकंप्यूटर वाले देशों की लीग में कुछ राष्ट्रों में होगी.
IANS से इनपुट