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फैबिफ्लू दवा पर ग्लेनमार्क का DGCI को जवाब, कहा- बाकी देशों से भारत में सस्ती है दवा

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने फैबिफ्लू ब्रांड से दवा पेश की है. इसके बारे में कंपनी ने बताया है कि भारत में जब यह दवा लॉन्च की गई, उस वक्त बाजार में इसकी सबसे कम कीमत (103रु./टैबलेट) थी. दुनिया के अन्य देशों में जहां फेविपिराविर बेची जाती है, उसकी तुलना में भारत में सबसे कम कीमत में बेचने की बात कही गई.

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फैबिफ्लू दवा
फैबिफ्लू दवा

  • दवा की कीमत को लेकर मिला था नोटिस
  • कंपनी ने कहा- 9,150 रु. है फैबिफ्लू का खर्च

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कोविड की दवा की कीमत को लेकर भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) के नोटिस का जवाब दिया है. इसमें कंपनी ने बताया है कि कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली अन्य दवाओं की तुलना में फैबिफ्लू सस्ती और प्रभावी है.

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने फेविपिराविर को फैबिफ्लू ब्रांड से पेश किया है. इसके बारे में कंपनी ने बताया है कि भारत में जब यह दवा लॉन्च की गई, उस वक्त बाजार में इसकी सबसे कम कीमत (103रु./टैबलेट) थी. दुनिया के अन्य देशों में जहां फेविपिराविर बेची जाती है, उसकी तुलना में भारत में सबसे कम कीमत की बात कही गई.

कंपनी का दावा है कि अन्य देशों की तुलना में ग्लेनमार्क ने भारत में फेविपिराविर की कीमत सबसे कम रखी है. कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं दवाओं के फुल कोर्स की बात करें तो फैबिफ्लू पर 9,150 रुपये, रेमडेसिविर पर 24,000 - 30,000 रुपये, टोसिलिजुमैब पर 44,000 रुपये और इटोलीजुमैब पर 32,000 रुपये का खर्च आता है.

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बता दें, डीजीसीआई ने ग्लेनमार्क को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा को लेकर गलत दावा करने और कीमतों को लेकर नोटिस जारी किया था. कारण बताओ नोटिस में कहा गया था कि एक संसद सदस्य ने शिकायत की है कि फैबिफ्लू के साथ इलाज का कुल खर्च करीब 12,500 रुपये आता है. यह खर्च देश के गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के दायरे से बाहर होगा और लोग इतनी कीमत नहीं चुका पाएंगे. इसके बाद डीजीसीआई ने ग्लेनमार्क को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

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