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EXCLUSIVE: इंडिया टुडे ने बालाकोट पर पाकिस्तान को किया बेनकाब, जैश की फंडिंग का खुलासा

भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक को कमतर दिखाने के लिए पाकिस्तान ने हर तरह के हथकंडों का सहारा लिया. इसके लिए पाकिस्तान के नागरिकों, सरकारी और गैर सरकारी माध्यमों ने फर्जी तस्वीरों और विरोधाभासी बयानों की झड़ी लगा दी. लेकिन इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने अपनी जांच से पाकिस्तान के इस कपटी चेहरे को बेनकाब कर दिया.

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बालाकोट (फोटो-रॉयटर्स)
बालाकोट (फोटो-रॉयटर्स)

पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारतीय लड़ाकू विमानों ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को बम बरसा कर तबाह किया तो पाकिस्तान ने झूठी सूचनाओं का अंबार लगा दिया. 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक्स को कमतर दिखाने के लिए सरहद पार से हर तरह के हथकंडों का सहारा लिया गया. इसके लिए पाकिस्तान के नागरिकों, सरकारी और गैर सरकारी माध्यमों ने फर्जी तस्वीरों और विरोधाभासी बयानों की झड़ी लगा दी. लेकिन इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) ने अपनी जांच से पाकिस्तान के इस कपटी चेहरे को बेनकाब कर दिया.

इस्लामाबाद की ओर से पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के दावों के बावजूद इंडिया टुडे की SIT की जांच से साफ हुआ कि सरहद पार जैश की ओर से अपनी गतिविधियों के लिए चंदा जुटाना बदस्तूर जारी है.

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बालाकोट में जैश के ठिकाने (जिसे भारतीय वायुसेना ने तबाह किया) के पास ही मस्जिद में काम करने वाले मोहम्मद नईम ने इंडिया टुडे के इंवेस्टीगेटिव रिपोटर्स को बताया कि 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक में कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए.

नईम ने SIT को फोन पर अपनी पहचान की पुष्टि करते हुए कहा, ‘मैं सेहरी की नोर मस्जिद से बोल रहा हूं.’

रिपोर्टर ने नईम से जानना चाहा, ‘भारत के एयर स्ट्राइक में कितने लोग मारे गए?’

नईम  ने अपने स्थानीय फोन (नंबर 312-557XXXX) पर कहा, ‘मैंने देखा जो पढ़ा, पाकिस्तानी सेना के 4 या 5 लोग मारे गए.’

रिपोर्टर- ‘पाकिस्तानी सेना?’

नईम- ‘हां, सेना के लोग भी (मारे गए).’

रिपोर्टर- ‘क्या आप पक्के तौर पर कह रहे हैं कि वो मारे गए...’

नईम- ‘हां...हां.’

नईम ने जो भी कहा उससे संकेत यही मिलता है कि जैश कैम्प को पाकिस्तानी सैनिक सुरक्षा दे रहे थे.

इसके बाद SIT ने बालाकोट के पास ही स्थित एक और मस्जिद के इमाम रहमान से संपर्क किया. रहमान ने भारतीय वायुसेना की बमबारी को ‘क़यामत का मंज़र’ बताया. रहमान ने जैश के ठिकाने वाली इमारत को एयर स्ट्राइक में भारी नुकसान होने की पुष्टि की.

रहमान ने अपने फोन (नंबर 312-580XXXX) से कहा, ‘वहां एक इमारत को नुकसान पहुंचा, हां हर कोई जाग गया था, धमाकों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि हर कोई घर से बाहर आ गया. चार से पांच धमाके हुए. हर कोई डर गया था. ये क़यामत का मंज़र था.’

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पाकिस्तान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि अमेरिका में बने लड़ाकू विमानों का उसने इस्तेमाल किया जबकि भारत ने पाकिस्तान के गिराए गए F-16 विमान से दागी गई मिसाइल के एक टुकड़े को दुनिया के सामने सार्वजनिक किया था. PoK के एक पुलिस अधिकारी ने SIT से फोन पर वादा किया कि एलओसी के ऊपर हवा में विमानों के टकराव के दौरान पाकिस्तान के F-16 विमान का जहां मलबा गिरा था, वो वहां जाकर उस जगह की घेराबंदी और सुरक्षा की जिम्मेदारी करेगा.

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भिंबर से सच सामने आ गया जब वहां के पुलिस स्टेशन को SIT के रिपोर्टर ने खुद को पाकिस्तानी सेना का खुफिया अधिकारी बता कर फोन किया.  

फोन उठाने वाले पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने पूरे सुरक्षा विभाग को पाकिस्तान के गिरे लड़ाकू विमान के बारे में कोई भी जानकारी किसी को ना देने का आदेश दिया था.  

रिपोर्टर- ‘किसने तुम्हें ये आदेश दिए?’

पुलिस अधिकारी ने जवाब दिया- ‘सर, ये फैसला हमारे वरिष्ठ अधिकारियों की सेना के अधिकारियों के साथ बैठक में लिया गया.’

पाकिस्तान ने बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले के बाद तनाव बढ़ने की स्थिति में F-16 को तैनात किया था. जबकि ये उस समझौते का खुला उल्लंघन है जिसके तहत उनका इस्तेमाल पाकिस्तान को सिर्फ आतंक विरोधी ऑपरेशन्स में ही करना था.

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भिंबर के पुलिस अधिकारी ने विमान के मलबे की मौजूदगी से इनकार नहीं किया. उसने कमान का आदेश मानने के लिए हामी भरी जब उसे उस जगह पर जाकर वहां की सुरक्षा करने के लिए कहा गया जहां भारतीय लड़ाकू विमान की ओर से गिराए विमान का मलबा गिरा था.   

रिपोर्टर ने अधिकारी से कहा, ‘मैं कैप्टन हनीफ़ हूं. उस जगह पर जाओ जहां पाकिस्तानी जेट गिरा था. और ये पक्का करो कि कोई भी विदेशी पत्रकार वहां ना जाने पाए.’

पुलिस अधिकारी- ‘ओके’.

रिपोर्टर- ‘मैं उस जगह की बात कर रहा हूं जहां पाकिस्तानी जेट गिरा था. किसी को भी ये पता नहीं चलना चाहिए कि हमारा विमान गिरा था.’  

पुलिस अधिकारी- ‘ओके, ओके’.

पाकिस्तान में जारी है आतंक के लिए फंड जुटाना

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में पाकिस्तान ने पहले जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की अपनी ज़मीन पर मौजूदगी को स्वीकार किया लेकिन फिर 180 डिग्री का टर्न लेते हुए इस आतंक संगठन के पाकिस्तान में होने से ही इनकार कर दिया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉडकास्ट हुए एक इंटरव्यू में कहा था- ‘अज़हर पाकिस्तान में है और काफी बीमार है. इतना बीमार कि घर से बाहर भी नहीं निकल सकता.’

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कुरैशी के इसी बयान के ठीक उलट पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने इंटरनेशनल मीडिया को दिए एक अन्य इंटरव्यू में कहा, ‘जैश-ए-मोहम्मद का पाकिस्तान में कोई वजूद नहीं है. इस पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान की ओर से प्रतिबंध लगा हुआ है.’पाकिस्तान ने बाद में आतंकी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर भी लंबे-चौड़ दावे किए. उसकी ओर से बड़ी संख्या में आतंकवादियों को हिरासत में लेने की बात भी कही गई.

लेकिन इंडिया टुडे की SIT की जांच में सामने आया कि पाकिस्तान में जैश की ओर से फंड जुटाने की गतिविधियां अब भी जारी हैं. SIT ने जांच में पाया कि जैश के प्रोपेगेंडा विंग के प्रमुख ताल्हा सैफ़ की ओर से पेशावर से प्रकाशित ‘अल कलाम’साप्ताहिक अखबार के जरिए जैश के लिए फंड जुटाया जा रहा है.

इंडिया टुडे की SIT ने साप्ताहिक के पहले के सभी संस्करणों को बारीकी से खंगाला और एक विज्ञापन पर फोकस किया. इस विज्ञापन में जैश-ए-मोहम्मद के लिए फंड देने की अपील की गई थी.  

SIT रिपोर्टरों ने विज्ञापन में जिन लोगों के नाम थे, उन्हें फोन किया और अपनी पहचान दुबई स्थित पाकिस्तानी मूल के कारोबारी के तौर पर बताई. विज्ञापन में फंड इकट्ठा करने के लिए मोहम्मद रियाज़ का नाम दिया गया था. मो. रियाज से पाकिस्तानी नंबर 0321 871**** पर संपर्क किया गया तो उसने लाहौर में स्थित जैश के एक और व्यक्ति से संपर्क करने के बाद उसे फंड का पैसा देने के लिए कहा. मो. रियाज को लगा कि उसे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से फोन किया गया है.

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रिपोर्टर ने मो. रियाज से कहा, ‘मैंने आपका एड देखा और मैं डोनेट करना चाहता हूं.’

मो. रियाज- ‘मैं कराची में हूं लेकिन मेरे लोग वहां (लाहौर में) हैं...ये मेरा बलोचिस्तान का नंबर है. अगर आप लाहौर में हैं तो आप उनसे लाहौर में या सेंट्रलाइज्ड नंबर पर बात कर सकते हैं.

मो रियाज- मैं आपको नंबर देता हूं. इसे नोट कीजिए- 0321-25xxxxx.’

रिपोर्टर- ‘ये किसका नंबर है?’

मो. रियाज- ‘ये अब्दुल्ला नदीम साहेब का है.’  

जब मो. रियाज से दोबारा फोन पर संपर्क किया गया तो उसने डोनेशन अपने निजी खाते में जमा करवाने के लिए कहा.   

मो रियाज़ ने कहा, ‘जैश का अपना कोई खाता नहीं है. लेकिन मैं आपको अपना निजी खाता नंबर दे सकता हूं. अगर आप इसमें पैसा जमा करेंगे, मैं उसे यहां किसी करीबी को सौंप दूंगा...इंशाअल्लाह...’

मो. रियाज  ने बताया कि ये खाता मोहम्मद रियाज़ के नाम से कराची के बैक इस्लामी में है. खाता नंबर- 100200124*****1.

मो रियाज ने दावा किया कि इस तरह के लेनदेन की कोई निगरानी नहीं होती.    

मो. रियाज ने कहा, ‘ये मेरा निजी खाता है. किसी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं है. मैं पैसा भेज दूंगा (जैश को), इंशाल्लाह…’

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