देशवासियों के लिए 21वीं सदी के आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखन वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की गुरुवार यानी आज पुण्यतिथि है. 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती विस्फोट हमले में कर दी गई थी. लेकिन, राजीव गांधी ने निधन से पहले ही अपने सपने को देश के धरातल पर मूर्तरूप देकर उतारने के लिए अपने प्रधानमंत्री के महज 5 साल के कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए, जिनके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.
राजीव गांधी को सियासत में नहीं थी दिलचस्पी
इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी की राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी. उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी यही चाहती थीं कि वो राजनीति से खुद को दूर रखें. इतने बड़े सियासी खानदान से होते हुए भी राजीव गांधी पायलट की नौकरी करते थे, लेकिन भाई संजय गांधी की मौत के बाद हालात ऐसे बन गए कि उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा.
ऐसे राजीव गांधी बने पीएम
31 अक्टूबर को दिल्ली में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद से यही सवाल उठा कि अब अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? दो दिन पहले ही राजीव गांधी 29 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे और वो विशेष विमान से दिल्ली आए. राजीव गांधी जब एम्स पहुंचे तब सोनिया गांधी ने उन्हें रोकर आग्रह किया कि वो प्रधानमंत्री ना बनें. इसके बावजूद 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को इंदिरा का उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उन्हें उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. राजीव गांधी ने पीएम के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल में देश को नई बुलंदी पर पहुंचाने का काम किया.
कंप्यूटर क्रांति
देश में पहले कंप्यूटर आम जन की पहुंच से दूर थे. राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काम किया. राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता. उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की.
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भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही. हालांकि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1970 में देश में पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी. 1978 तक आईबीएम पहली कंपनी थी, बाद में दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने कंप्यूटर निर्माण शुरू किया.
पंचायतों को किया सशक्त
पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं की मजबूती के लिए राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त किया. राजीव गांधी ने पहले भी कई राजनेताओं ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और पंचायती राज व्यवस्था को सबल करके ही निचले स्तर तक लोकतंत्र पहुंचाने की बात कही थी. राजीव गांधी के कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार हुआ. 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की इस पहल को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ.
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राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा. पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा.
दूररसंचार क्रांति
राजीव गांधी को भारत में दूरसंचार क्रांति लाने वाला नेता कहा जाता है. राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई.
इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव और शहर संचार के मामले में आपस में और देश-दुनिया से जुड़ सके. फिर 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.
वोट देने की उम्र सीमा घटाई
पहले देश में वोट देने की उम्रसीमा 21 वर्ष थी. प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देने का कदम उठाया. 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा अपने सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे.
खोले नवोदय विद्यालय
मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. गांवों के बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा दिलाने के मकसद के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की शुरआत की. इन आवासीय विद्यालयों की प्रवेश परीक्षा में सफल होने वाले मेधावी बच्चों को यहां प्रवेश मिलता है. बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है. राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी अहम कदम उठाए. उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) की घोषणा की. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार करने की कोशिशें हुईं.