भारत में कुल टेस्टिंग के आंकड़े हर दिन बढ़ते प्रतीत हो रहे हैं, लेकिन वो इस तथ्य को छुपाते हैं कि कुछ राज्य एक महीना पहले की तुलना में अब हर दिन कम लोगों की टेस्टिंग कर रहे हैं.
भारत उन गिनती के देशों में शामिल है, जिन्होंने 10 लाख से अधिक लोगों की टेस्टिंग की. इसके बावजूद भारत अपनी आबादी के अनुपात में सबसे कम टेस्टिंग दर वाले देशों में से एक है. 215 देशों में से सिर्फ 52 ही ऐसे हैं, जिन्होंने आबादी के अनुपात में कम लोगों को टेस्ट किया है. सर्वाधिक बोझ वाले देशों में और किसी ने भी हर 10 लाख लोगों पर इतने कम टेस्ट नहीं किए हैं.
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कुल मिलाकर देखने पर प्रतीत होता है कि भारत में कुल टेस्ट की संख्या बढ़ रही है और ऐसा लगता है कि भारत में हर दिन अधिक लोगों का टेस्ट किया जा रहा है. 20 मई से हर दिन एक लाख से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जा रहा है, इसके मायने यह हैं कि भारत ने पिछले महीने की तुलना में हर दिन टेस्ट की संख्या को तीन गुना कर दिया है.
लेकिन राष्ट्रीय आंकड़ा जो छुपाता है वो ये है कि राज्यवार व्यापक विभिन्नता है. अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य खराब प्रदर्शन वाले राज्यों से दस गुना से ज्यादा टेस्टिंग अपनी आबादी के अनुपात में कर रहे हैं. कम विकसित राज्य जैसे कि बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड बहुत कम टेस्ट कर रहे हैं. अगर बिहार और यूपी देश होते तो वो दुनिया के उन 40 देशों में शामिल होते, जिनकी टेस्टिंग दर सबसे कम है.
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हालांकि, केरल और पंजाब जैसे खुशहाल राज्य भी राष्ट्रीय औसत से कम दर पर टेस्ट कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश और दिल्ली उन राज्यों में शामिल हैं, जो अपनी आबादी के अनुपात में सबसे अधिक टेस्टिंग कर रहे हैं.
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इसके अलावा कुछ राज्य केसों की संख्या बढ़ने के बावजूद पहले की तुलना में अब हर दिन कम टेस्टिंग कर रहे हैं. दिल्ली ने मई के दूसरे पखवाड़े में पहले पखवाड़े की तुलना में कम लोगों का टेस्ट किया है, जबकि यहां केस लगातार बढ़ रहे हैं. गुजरात मई की शुरुआत में जितनी टेस्टिंग कर रहा था, उससे अब कहीं कम कर रहा है.
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ऐसे मुट्ठी भर राज्य ही हैं, जिन्होंने मई के आखिरी हफ्ते में पहले हफ्ते की तुलना में टेस्टिंग को खासा बढ़ाया है. इनमें कर्नाटक जैसा विकसित राज्य और पश्चिम बंगाल, राजस्थान जैसे गरीब राज्य भी शामिल हैं. ये राज्य मई के पहले हफ्ते की तुलना में अब दुगनी से ज्यादा टेस्टिंग कर रहे हैं. जैसा कि लॉकडाउन खत्म होने की दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है, ये राज्य खुद को अधिक आरामदायक स्थिति में ला रहे हैं, क्योंकि उनके अपने सभी केसों को ढूंढ लेने की संभावना ज्यादा है.
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