कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का कहना है कि भारत के उच्च न्यायालय ने निजता (प्राइवेसी) को मूलभूत अधिकार ठहराया है. उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि राइट टू प्राइवेसी (निजता का अधिकार) एक मूलभूत अधिकार है, लेकिन एनडीए और बीजेपी की सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का निरंतर उल्लंघन करती आ रही है. एनडीए और बीजेपी की सरकार में आम नागरिकों की निजता खत्म हो गई है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, आज जो खबरें सार्वजनिक हुई हैं, उससे यह बात जाहिर होती है उनका (सरकार) मंसूबा एक षड्यंत्र है. सबकुछ पूर्व नियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. सरकार ने लोगों के कुछ कॉल डिटेल सेलफोन कंपनियों से मांगे हैं. हम पूछना चाहते हैं कि इसका क्या औचित्य है. क्या बीजेपी सरकार सभी नियमों को तोड़ते हुए आम लोगों की प्राइवेसी पर हमला कर रही है? यह जो खुलासा हुआ है, वह बहुत ही संवेदनशील है. नागरिकों के जो मूलभूत अधिकार संविधान ने दिए हैं, उनके ऊपर कुठाराघात है. हम इस पर सरकार से जवाब मांगेंगे और सरकार से पूछेंगे कि किस कानून के तहत नागरिकों के कॉल रिकॉर्ड मोबाइल कंपनियों से मांगे गए हैं.
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दूसरी ओर, पूर्व जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा भेजे जाने के फैसले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस ने रंजन गोगोई से कई सवाल पूछे हैं. हालांकि, गोगोई ने कहा था कि वह शपथ लेने के बाद हर सवाल का जवाब देंगे. पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, 'रंजन गोगोई कृपया यह भी बताएं कि अपने ही केस में खुद निर्णय क्यों? लिफाफा बंद न्यायिक प्रणाली क्यों? चुनावी बॉन्ड का मसला क्यों नहीं लिया गया? राफेल मामले में क्यों क्लीन चिट दी गई? सीबीआई निदेशक को क्यों हटाया गया?' इससे पहले कपिल सिब्बल ने कहा था कि यही जस्टिस गोगोई ने सीजेआई रहते रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करने को संस्था पर धब्बा जैसा बताया था और आज खुद ग्रहण कर रहे हैं. हमें इस मामले में कानूनी पहलू पर जाने की जगह पब्लिक परसेप्शन पर ध्यान देना चाहिए.
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