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chandrayaan 2: इन दो महिलाओं का पूरे मिशन में अहम रोल, जानें कौन हैं ये

ये दो हैं ISRO की रॉकेट वुमन जिन्होंने चांद पर भारत का दबदबा कायम करने के सपने को सच किया है. इस सपने के खातिर दोनों ने दिन रात एक कर दिया.

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एम वनिता व रितु कारीधाल (बायें से दायें )
एम वनिता व रितु कारीधाल (बायें से दायें )

ये ISRO की रॉकेट वुमन हैं, जिन्होंने चांद पर भारत का दबदबा कायम करने के सपने को सच किया है. इस सपने की खातिर दोनों ने दिन रात एक कर दिया. इनमें से पहला नाम है मुथय्या वनीथा का, जो कि मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. वहीं दूसरी रितु करिधल हैं जो चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर हैं.

मुथय्या वनीथा सैटेलाइट कम्युनिकेशन की एक्सपर्ट हैं. वो चंद्रयान-2 मिशन से पहले भारत के पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट प्रोजेक्ट Cartosat 1  और Oceansat-2 प्रोजेक्ट की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रही हैं. वनिथा पिछले 32 साल से इसरो के लिए काम कर रही हैं. वो मंगलयान मिशन से भी जुड़ी रही हैं.

उम्र के 40वें पड़ाव में प्रवेश कर चुकी मुथाया वनिता इसरो में अपने काम से बड़ी पहचान बनाई है. चंद्रयान 2 मिशन में वो पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं. इलेक्ट्रानिक सिस्टम इंजीनियर मुथाया ने इससे पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स के जरिये डेटा ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण काम किया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि इसरो में लिंगभेद बिल्कुल नहीं है. हर काबिल व्यक्त‍ि को बेहतरीन काम करने का मौका मिलता है. चंद्रयान-2 में 30 फीसदी महिला वैज्ञानिक इसका उदाहरण हैं.

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वहीं चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितु करिधल मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर थीं.  उन्होंने चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण के समय एक साक्षात्कार में कहा कि अक्सर ये कहा जाता है कि Men are from mars and women are from venus (पुरुष मंगल ग्रह से आते हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आती हैं) फिर मंगल अभियान की इस सफलता के बाद कई लोग महिला वैज्ञानिकों को 'मंगल की महिलाएं' कहने लगे हैं. 1997 से इसरो के साथ काम कर रही रितु करिधल को 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से इसरो का प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

ये दो वो नाम हैं जो मिशन को लीड कर रही हैं, इनके अलावा भी चंद्रयान 2 मिशन में बड़ी संख्या में महिलाओं का योगदान है. इस पूरे मिशन को टीम में शामिल 30 फीसदी महिलाओं ने भी सफल बनाने में दिन रात लगाए हैं.

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