आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले के एर्नागुडेम गांव से एक हैरान कर देने वाली कहानी सामने आई है. यहां 52 साल के मस्का गोपी का ऑटो बिना ईंधन के नहीं, बल्कि मां की मौजूदगी से चलता है. गोपी 1997 से ऑटो चला रहे हैं, लेकिन पिछले 10 साल से उनकी मां सत्यवती हर सफर में उनके साथ रहती हैं.
2012 में पिता के निधन के बाद सत्यवती भावनात्मक और शारीरिक रूप से टूट गई थीं. दुर्घटनाओं की खबरें सुनकर उन्हें अपने बेटे की चिंता सताने लगी. वह खाना छोड़ने लगीं और उदास रहने लगीं.
हर सफर में मां रहती है साथ
एक दिन गोपी ने उन्हें ऑटो में साथ ले जाने का फैसला किया. यह फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बन गया. मां के चेहरे पर खुशी देखकर गोपी ने तय कर लिया कि अब वह उन्हें कभी पीछे नहीं छोड़ेंगे.
अब जब भी गोपी यात्रियों को लेकर निकलते हैं, मां उनके साथ पीछे की सीट पर बैठती हैं. कुछ लोग कहते हैं कि इससे सवारी कम मिलती है या मां थक जाती हैं, लेकिन गोपी को मां की मुस्कान पैसों से कहीं ज्यादा कीमती लगती है.
ऑटो की पीछे वाली सीट पर बैठती है मां
गांव के लोग भी गोपी की तारीफ करते हैं. सत्यवती कहती हैं कि बेटे के साथ रहकर उन्हें दवा या आराम की जरूरत नहीं रहती. गोपी का कहना है, जैसे मुझे प्यार मिला, अब मेरी बारी है. जब तक मां साथ चलना चाहेंगी, ऑटो में उनकी सीट हमेशा तय है.