देश की विकास दर को रफ्तार देने के लिए मोदी सरकार को 'अटल' का सहारा लेना पड़ रहा है. हालांकि ये 'अटल' दरअसल अटल टिंकरिंग लैबोरेटरीज यानी ATL है. ये अटल दूसरे अटल के साथ विकास का नया AIM बना रहा है. AIM यानी अटल इनोवेशन मिशन. यानी अटल और AIM मिलकर देश की नई पीढ़ी में इनोवेशन की नई लहर चलाएंगे. यानी 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों की कल्पना को रचनात्मकता तक पहुंचाने का मिशन - Motivation For Innovation in New Generation.
तरक्की के लिए चाहिए 10 से ज्यादा की रफ्तार
देश में नवोन्मेष यानी इनोवेशन के लिए नन्हें-मुन्ने बच्चों को प्रेरित करने के लिए टिंकरिंग लैब खुलेंगे. वो भी कोई दस या पांच नहीं बल्कि पूरे पांच सौ. ताकि बच्चे को अपने नजदीक ही इनोवेशन के लिए जगह, सुविधाएं और विकल्प मिल सकें. देश के नौनिहालों को देश की विकास दर से सहज ही जोड़ा जा सके क्योंकि आज का सच यही है कि यदि देश को तरक्की के लिए 10 से ज्यादा की रफ्तार हासिल करनी है, तो नवोन्मेष यानी Innovation पहली शर्त है. ताकि पढ़ाई को रोजगार से और रोजगार को नौकरी के बजाय कारोबार से जोड़ा जाए. इसकी शुरुआत भी दसवीं के बाद नहीं बल्कि पांचवीं से पहले ही हो जाए, तो बेहतर है. दसवीं क्लास तक पहुंचते- पहुंचते बच्चे अपनी प्रतिभा को पंख लगा सकेंगे. उसे निखार सकेंगे.
नीति आयोग का इनटेल फाउंडेशन के साथ करार
नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और इनटेल ने इस बाबत हाथ मिला लिए हैं. नीति आयोग ने इनटेल फाउंडेशन के साथ एमओयू साइन किया है. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और इनटेल फाउंडेशन की वाइस प्रेसिडेंट रोसालिंड हुडनेल ने करार पर दस्तखत कर दस्तावेजों की अदला-बदली की. इस करार के मुताबिक इनटेल फिलहाल विश्व स्तर के 10 इनोवेशन सेंटर खोलने में तकनीकी और बुनियादी मदद करेगा. नीति आयोग इसमें आर्थिक और प्रशासनिक मदद करेगा.
खोले जाएंगे पांच सौ टिंकरिंग लैब
नीति आयोग के मुताबिक इन दस आदर्श सेंटर की तर्ज पर बाकी 490 सेंटर भी बनेंगे. यानी पांच सौ टिंकरिंग लैब खोलने के लिए अब तक देश के स्कूलों और शिक्षा संस्थानों से कोई 11 हजार अर्जियां आयोग को मिल चुकी हैं. जबकि स्टार्ट अप के लिए 100 इन्क्यूबेशन सेंटर खोलने हैं. इनके लिए 2 हजार से ज्यादा अर्जियां मिली हैं. यानी शुरुआत उत्साहजनक है. अगले साल मार्च तक बच्चों की कल्पना की उड़ान को साकार करने में ये पांच सौ सेंटर तैयार हो जाएंगे.
हर बच्चे में होती है प्रतिभा
अमिताभ कांत के मुताबिक पश्चिमी देशों में भी इनोवेशन हो रहे हैं, लेकिन अमीरों के लिए. वहां के समाज और सोच के मुताबिक. जबकि भारत में यहां की स्थिति के मुताबिक आम लोगों के लिए ऐसे इनोवेशन्स की जरूरत है, जिससे पूरी दुनिया को नई दिशा मिल सके और अगले साल से ये कल्पना भी हकीकत बन जाएगी. हमारे इनोवेशन सेंटर्स में स्कूल में पढ़ने वाले ऐसे बच्चे आएंगे, जिनका दिमाग सबसे ज्यादा उर्वर होता है. हरेक बच्चे में कोई ना कोई प्रतिभा होती है. सेंटर्स में उन्हें पहचान कर निखारने में काफी आसानी होगी. बच्चा सहज ही अपनी सोच को तकनीकी सहयोग और एक्सपर्ट टीम की मदद से साकार करने में सक्रिय हो जाएगा.
ऐसे विकसित होगी बच्चों की सोच
दो साल के लिए हुए इस करार के दौरान सरकार और इंटेल इंडिया को उम्मीद है कि अगले दो साल में विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे ढाई लाख बच्चों को किशोर और तरुण होने तक उनकी प्रतिभा को निखार कर इनोवेशन का गुरु बना दिया जाएगा. नीति आयोग और इनटेल फाउंडेशन के बीच हुए करार के मुताबिक अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने का मकसद बच्चों की कल्पना को पंख लगाकर उन्हें रचनात्मक बनाने की प्रेरणा देते हुए तकनीकी मदद मुहैया कराना है, ताकि समस्याओं का सहज समाधान करने की दिशा में बच्चों की सोच विकसित हो.
बच्चे खुद करेंगे अपनी समस्या का समाधान
अब झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चे अपनी समस्याओं जैसे मच्छर, गंदगी, कचरा, जलभराव जैसी परेशानियों का हल खुद ही निकालेंगे क्योंकि वो जितनी शिद्दत से इससे निजात के उपाय ढूंढ सकते हैं कोई दूसरा नहीं. वैसे ही किसानों को आने वाली दिक्कतों और परेशानियों को गांव का बच्चा किसानों के बीच का बच्चा जितनी सहजता से समझ कर अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ा कर उपाय ढूंढ लेगा किसी दूसरे का तो दिमाग भी नहीं चलेगा.
इनटेल इंडिया के विशेषज्ञों की टीम करेगी मदद
इस पूरी परियोजना में इनटेल की भूमिका मेंटर यानी अभिभावक की होगी. यानी युवाओं के प्रोजेक्ट्स को Quality improvement और ecosystem तैयार करने की होगी. किशोर दिमाग के आइडियाज को facilitate करना, design को prototype workshops के जरिए साकार करने में तकनीकी मदद देने में इनटेल इंडिया के विशेषज्ञों की टीम अपना सहयोग करेगी. इसके अलावा इंटेल इंडिया देश भर में तैयार होने वाले पांच लाख से ज्यादा युवा इनोवेटर्स के राष्ट्रीय स्तर के उत्सव में भी अपनी भूमिका अदा करेगी.
युवा सोच की उड़ान के लिए लॉन्चिंग पैड तैयार
दरअसल स्कूलों में ये लैब खोले जाएंगे. स्कूलों का अपना इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटेल का तकनीकी सहयोग मिलकर वर्ल्ड क्लास इनोवेशन हब के रूप में काम करेंगे. इसी तरह देश भर के दस लाख बच्चों के दिमाग में चल रही उपजाऊ कल्पना के उफान को दिशा देना होगा. यानी अपनी कल्पना को खुद दिशा दो और साकार करो. सरकार ने योजना बनाई है कि अगले पांच सालों में 15 लाख अमेरिकी डॉलर की लागत से विभिन्न स्कूलों में पांच सौ ALT की इमारतें और लैब बनेंगी और तकनीकी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. यानी मार्च 2017 से शुरू होने वाली ये उड़ान अगले पांच साल तक करोड़ों बच्चों तक पहुंचने वाली है. हमारी युवा सोच की उड़ान के लिए एक और लॉन्चिंग पैड तैयार हो रहा है.