scorecardresearch
 

NRC लिस्ट से बाहर हुईं डोलन ने दी चुनौती, मुझे विदेशी साबित करे सरकार

एनआरसी लिस्ट से बाहर किए जाने से गुस्साईं डोलन सेनगुप्ता ने एनआरसी को-ऑर्डिनेटर को चुनौती दे डाली है. उन्होंने कहा कि वो उन्हें विदेशी साबित करे.

Advertisement
X
डोलन सेनगुप्ता (फोटो- मनोज्ञा लोइवाल)
डोलन सेनगुप्ता (फोटो- मनोज्ञा लोइवाल)

नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी) की आखिरी लिस्ट जारी कर दी गई है. इस लिस्ट में 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर हैं. उनमें 50 वर्षीय महिला डोलन सेनगुप्ता भी हैं. इनका नाम एनआरसी की आखिरी सूची से खारिज कर दिया गया है. इससे गुस्साईं डोलन ने एनआरसी को-ऑर्डिनेटर को चुनौती दे डाली है कि वो उन्हें विदेशी साबित करें.

डोलन एक गृहिणी हैं और उनकी शादी 22 साल पहले असम में उस परिवार में हुई जो 1846 में गुवाहाटी में आकर बसा था.

डोलन ने बताया कि उनका मायका पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में है और वो पहले ही अपने मायके से सारे दस्तावेज इकट्ठा करने में बहुत पैसे खर्च कर चुकी हैं, क्योंकि वहां अब कोई नहीं रहता. उन्होंने कहा कि अब नागरिका साबित करने के लिए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में जाने के लिए वो और खर्च वहन नहीं कर सकती हैं.

Advertisement

डोलन बोलीं- फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल क्यों जाना चाहिए?

डोलन ने कहा, 'मुझे एक नागरिक के रूप में खारिज कर दिया गया और अब ट्रिब्यूनल जाने के लिए कहा जा रहा है. आखिर मुझे फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल क्यों जाना चाहिए. जब मेरे पास पासपोर्ट, पैन कार्ड और आधार कार्ड है. मैं चुनौती देती हूं कि वो मुझे विदेशी साबित करें.'

उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास सभी वैध दस्तावेज हैं, तो मुझे किसी अन्य कोर्ट में क्यों जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका जाना मतलब फिर खर्च. मैं एक गृहिणी हूं, ऐसे में खर्च कौन उठाएगा? डोलन ने कहा कि अगर दस्तावेजों की जरूरत नहीं थी, तो फिर एनआरसी के अधिकारियों ने दस्तावेजों की छानबीन क्यों की?

ground-nrc-jjj_090119071429.jpg

डोलन के पति सुब्रज्योति पेशे से एक व्यापारी हैं, लेकिन वे एक जागरूक नागरिक के तौर पर रुपये के खर्च का ब्यौरा मांग रहे हैं. उन्होंने पूछा कि एनआरसी पर 19 लाख लोगों (एनआरसी सूची से बाहर) के द्वारा 1600 करोड़ रुपये खर्च किए गए, उनमें उनकी पत्नी की तरह ही कई लोग शामिल हैं.

सुब्रज्योति सेनगुप्ता कहते हैं कि मेरी बात बस इतनी है कि मेरी पत्नी का नाम बिना किसी आधार के खारिज कर दिया गया है, इसलिए मैं अब एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा हूं. क्या यह सही तरीका है, क्या इससे भारत के सभी नागरिकों के साथ सही हो रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि जिनका नाम एनआरसी लिस्ट में शामिल किया गया है, क्या यह ईमानदारी से किया गया था.

Advertisement

उन्होंने कहा कि जिनके नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल जाने को कहा गया, यह किस आधार पर है? क्या इसका मतलब विदेशियों से या वहां जाने का मतलब है कि मैं स्वीकार कर रहा हूं कि मैं एक विदेशी हूं, आखिर हमें वहां क्यों जाना चाहिए. यह बहुत घटिया तरीका है, जिसके लिए 1600 करोड़ रुपये को बर्बाद किया गया. उन्होंने कहा कि मैं एनआरसी के इस परिणाम से असहमत हूं और अब तो मुझे उनकी साख पर भी संदेह है.

बता दें कि सेनगुप्ता परिवार 19वीं शताब्दी से गुवाहाटी के पानबाजार इलाके में रह रहा है, लेकिन अब उन्हें इस आधार पर नागरिकता साबित करने के लिए कहा जा रहा है, जिस पर जवाब देने से ज्यादा सवाल उठा रहा है.

सूची में मां का नाम नहीं

इसके अलवा गुवाहाटी के एक और सदी के निवासी रुदीप सरस्वती अपनी मां का नाम एनआरसी सूची में नहीं होने के कारण चिंतित हैं.

रुदीप ने पूछा, 'क्या एनआरसी के अधिकारी पिछले छह महीने से सो रहे थे? अगर दस्तावेजों में कोई समस्या थी तो वे हमें बुला सकते थे. मेरी मां 68 साल की हैं. उनका नाम सूची में नहीं है. अब उनकी नागरिका साबित करने के लिए मैं उन्हें एक जगह से दूसरी जगह कैसे ले जाऊंगा?'

Advertisement
Advertisement