scorecardresearch
 

नन्ही-सी जान से सेना है परेशान

दुर्गम सीमाओं पर सेना भले ही दुश्मनों के छक्के छुड़ा देती हो, पर एक नन्ही सी जान ने इन दिनों लद्दाख में सेना की ही नाक में दम किया हुआ है.

Advertisement
X
चूहे से सेना परेशान
चूहे से सेना परेशान

दुर्गम सीमाओं पर सेना भले ही दुश्मनों के छक्के छुड़ा देती हो, पर एक नन्ही सी जान ने इन दिनों लद्दाख में सेना की ही नाक में दम किया हुआ है.

लद्दाख में सेना इन दिनों चूहों से बेहद परेशान है. सेना के लिए यहां खासी मुश्किलों से पहुंचे राशन को ये चूहे बेतहाशा चट किए जा रहे हैं. सेना अब इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए किसी ठोस उपाय की तलाश में जुट गई है.

सर्दी में लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए गर्मियों से ही यहां राशन इकट्ठा करना शुरू कर दिया जाता है क्योंकि सर्दी में हिमपात के कारण यह इलाका कई महीने शेष भारत से पूरी तरह कट जाता है.

लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई वाले इस इलाके में चूहों की धमाचौकड़ी से परेशान सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा की चिकित्सा शोध शाखा पूर्वी और पश्चिमी लद्दाख स्थित सेना के प्रतिष्ठानों में इस समस्या का आकलन करने में जुट गई है.

आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नरेश कुमार ने बताया, ‘‘चूहों ने हर तरफ धमाचौकड़ी मचा रखी है. उन्होंने पुराने भंडार को नष्ट कर दिया, जिससे परेशानी खड़ी हो गई और उनसे बीमारियां भी फैल रही हैं. ऊंचे इलाकों में स्थित सैन्य प्रतिष्ठान इससे परेशान हैं क्योंकि ये चूहे सर्दियों के भंडार को भी खराब कर रहे हैं.’’{mospagebreak}

Advertisement

कुमार ने बताया, ‘‘मैदानी इलाकों में चूहों पर नियंत्रण लगाने के जो परंपरागत उपाय किए जाते हैं, वे यहां उतने प्रभावी नहीं होते.’’ चूहों को पकड़ने के परंपरागत तरीके, जैसे चूहेदानी का इस्तेमाल और चूहे मारने की दवा लद्दाख में अप्रभावी साबित हुए हैं.

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा की चिकित्सा शोध शाखा के एडीजी मेजर जनरल मंदीप सिंह ने बताया, ‘‘15,000 फीट से भी ऊंचे क्षेत्र में राशन और दूसरा जरूरी सामान ले जाना आसान काम नहीं है, इसलिए हमने चूहों की इस समस्या के आकलन के लिए एक शोध करने का फैसला किया है.’’

उन्होंने बताया कि चूहे न केवल गेंहू, चावल और आटे को खराब कर रहे हैं, बल्कि इधर-उधर भागते हुए सेना के शिविरों में धमाचौकड़ी भी मचाते रहते हैं. मेजर सिंह ने कहा कि सबसे बड़ी परेशानी चूहों से बीमारियां पैदा होने की आशंका रहना है.

चिकित्सा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट कर्नल डेनिस अब्राहम ने बताया, ‘‘कोई भी परंपरागत तरीका कारगर नहीं हो रहा है. हम जो शोध करेंगे, उसमें तीन पहलुओं पर हमारा ध्यान होगा. चूहे जो परेशानी पैदा कर रहे हैं, सबसे पहले हमें उस पर लगाम लगानी होगी. हम यह भी ध्यान रखेंगे कि क्या उनसे बीमारियां पैदा होने की आशंका है.’’ उन्होंने बताया, ‘‘यह भी देखा जाएगा कि क्या ये चूहे ट्रकों में खाद्य पदाथरें के साथ आए हैं.’’

Advertisement
Advertisement