दहेज के लिए बहू को जीवित जलाने के मामले में अदालत ने एक 85 वर्षीय महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. महिला के साथ ही उसके बड़े बेटे को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. महिला पर अपने छोटे बेटे की पत्नी को जिंदा जलाने का आरोप था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार जैन ने पीड़ित के मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर तुर्कमान गेट निवासी हुसैन बानो और उसके बड़े बेटे नसीम को दहेज के लिए छोटे बेटे नसीरूद्दीन की पत्नी गुलनाज को प्रताड़ित करने और जीवित जलाने का दोषी करार दिया. अदालत ने कहा कि गुलनाज द्वारा दिए गए मृत्यु पूर्व बयान में उसने अपनी मौत के कारणों का खुलासा किया है.
मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराते हुए अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि अभियोजन पक्ष के गवाह भी पीड़ित के अंतिम बयान की पुष्टि नहीं कर सके. अभियोजन पक्ष का गवाह गुलनाज का पति था जो बाद में अपनी गवाही से मुकर गया था.
न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं दोनों दोषियों हुसैन बानो और नसीम को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाता हूं.’ इसके साथ ही दोनों पर बारह-बारह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. वर्ष 2008 में हुई इस घटना के एक दिन पहले 22 अक्टूबर को हुसैन और नसीम ने गुलनाज को दहेज नहीं लाने की वजह से मारा-पीटा था. पुलिस का कहना है कि अगले दिन जब गुलनाज सो कर उठी तो हुसैन उसके साथ झगड़ा करने लगी, इसी दौरान नसीम ने उस पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दी.
गुलनाज की चीख सुनकर उसका पति नसीरुद्दीन और भतीजा शोएब वहां पहुंचे. दोनों उसकी आग बुझा कर उसे अस्पताल ले गए जहां दो महीने बाद उसने दम तोड़ दिया. पीड़ित ने अपने मृत्यु पूर्व बयान में कहा कि उसकी सास और उसका जेठ दहेज में नकद, मोटरसाइकिल और टेलीविजन लाने की मांग पूरी नहीं करने के कारण उसे प्रताड़ित करते थे और उसे मारते पीटते थे.
अपने बचाव में दोनों आरोपियों ने अदालत में कहा था कि घटना के वक्त दोनों घर में मौजूद नहीं थे. वे किसी की शादी में शामिल होने गए थे. साथ ही उन्होंने कहा था कि दोनों ने गुलनाज से कभी दहेज की मांग नहीं की थी और उसे प्रताड़ित नहीं किया था. अदालत ने दोनों की दलीलें खारिज कर दीं क्योंकि उनके पास इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे.