scorecardresearch
 

आखिर क्यों नरम पड़े पायलट के तेवर, गहलोत के नंबर गेम वाले 'जादू' से टला संकट

सचिन पायलट के पास कांग्रेस के केवल 19 विधायक ही थे. तीन निर्दलीय विधायकों को मिला लें तो भी यह संख्या 22 ही पहुंच रही थी. 22 विधायकों की बगावत के बूते सरकार गिर सकती थी, तो बचने की संभावनाएं भी थीं.

Advertisement
X
सचिन पायलट, राहुल गांधी और अशोक गहलोत (फाइल फोटोः पीटीआई)
सचिन पायलट, राहुल गांधी और अशोक गहलोत (फाइल फोटोः पीटीआई)

  • गहलोत सरकार के बचने की भी थी संभावना
  • गांधी परिवार ने नहीं बोला था उनके खिलाफ

राजस्थान में एक महीने से लंबे चले सियासी ड्रामे के बीच आखिरकार सचिन पायलट पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मिलने पहुंचे. इस वार्ता में सचिन पायलट ने सुलह के लिए अपनी कुछ शर्तें रखीं तो राहुल गांधी ने भी उन्हें उनके दोनों पदों पर वापसी का ऑफर दे दिया. 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले अब यह तय हो गया है कि पायलट ने गहलोत सरकार को अभयदान दे दिया है.

सवाल यह है कि गहलोत की ओर से लगातार तल्ख जुबानी हमलों के बावजूद पायलट ने सरकार को अभयदान क्यों दिया? इसके पीछे अपनी वजहें हैं. सचिन पायलट के पास कांग्रेस के केवल 19 विधायक ही थे. तीन निर्दलीय विधायकों को मिला लें तो भी यह संख्या 22 ही पहुंच रही थी. 22 विधायकों की बगावत के बूते सरकार गिर सकती थी, तो बचने की संभावनाएं भी थीं. ऐसे में यह दोहरे जोखिम से भरा काम था.

Advertisement

राहुल-प्रियंका से मिले सचिन पायलट, असेंबली सेशन से पहले घर वापसी की कोशिशें तेज

पायलट समर्थक कुछ विधायकों ने उन्हें ऐन वक्त पर गच्चा देकर अशोक गहलोत खेमे का दामन थाम लिया था. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को लेकर फैसला भी जल्दी हो नहीं पा रहा था. अभी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं को दाखिल होने का दौर जारी था. ऐसे में 17 तारीख तक फैसला आ पाता, इसे लेकर भी आशंका थी.

राजस्थान: बसपा विधायकों के विलय पर SC में याचिका, BJP नेता बोले- ना मिले वोट का अधिकार

सचिन पायलट को यह डर भी था कि वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक क्रॉस वोटिंग कर सरकार न बचा ले जाएं. पायलट ने पहले भी यह साफ कर दिया था कि वे भाजपा में नहीं जाएंगे. वे राजस्थान का अतीत देखते हुए क्षेत्रीय पार्टी बनाने को लेकर भी मन नहीं बना पा रहे थे. इस पूरे मामले में गांधी परिवार ने सचिन पायलट के खिलाफ कुछ नहीं बोला था और पर्दे के पीछे गांधी परिवार सचिन पायलट की वापसी की कोशिशों में लगा रहा.

प्रियंका-राहुल एक्टिव, पायलट नरम, राजस्थान में खत्म हो सकता है गहलोत सरकार का संकट

सचिन पायलट का गांधी परिवार से बचपन से ही करीबी रिश्ता रहा है. गांधी परिवार और सचिन पायलट मिले तो माहौल बेहद भावुक था. गौरतलब है कि सचिन पायलट और गांधी परिवार की मुलाकात में सचिन पायलट ने अपने खेमे से दो वरिष्ठ विधायकों को उपमुख्यमंत्री बनाने और अन्य विधायकों को भी निगम-बोर्ड की कमान सौंपने की मांग की है. पायलट ने खुद को भविष्य का सीएम घोषित करने और राहुल गांधी की ओर से की गई घोषणाएं लागू कराने का भी ऐलान करने की शर्त रखी है.

Advertisement
Advertisement