राजस्थान में मेवाड़ के इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर एक बार फिर बवाल मचा हुआ है. इस बार भी राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि पाठ्य पुस्तक मंडल और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में संघ से जुड़े लोगों को हटाने पर महाराणा प्रताप के ऊपर गलत और झूठा प्रचार कर रहे हैं.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पहली बार इस मसले पर बोलते हुए 'आजतक' से कहा कि हमने पूरे पाठ्यक्रम को फिर से चेक करवाया है. यह मार्च 2019 से ही सिलेबस में है जिसमें हमने महाराणा प्रताप का महिमामंडन बीजेपी से ज्यादा किया है. बीजेपी के समय हल्दीघाटी के युद्ध को अनिर्णित बताया गया था, जबकि उल्टा हमने महाराणा प्रताप का ज्यादा महिमामंडन किया है. जहां तक बनवीर की हत्या और मेवाड़ के महाराजा भीम सिंह की पुत्री कृष्णा सिंह के जहर पीने के प्रसंग का सवाल है तो यह हमने उदयपुर के पूर्व राजघराना द्वारा सम्मानित मेवाड़ पुरस्कार से नवाजे गए इतिहासकार की किताब से लिया है. फिर भी मैंने कहा है कि अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वह लिखकर दे, हम तुरंत उसे दूर कर देंगे.
सिलेबस पर उठे विवाद के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी शिक्षा मंत्री से पूरी जानकारी मांगी है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि हमने गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सब कुछ साफ कर दिया है. दरअसल बीजेपी महाराणा प्रताप और मेवाड़ के इतिहास की आड़ में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर हमला बोल रही है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पंजाब के राज्यपाल बी पी सिंह बदनोर समेत मेवाड़ राजघराने के पूर्व राजकुमार लक्ष्यराज सिंह तक ने सरकार को मेवाड़ के इतिहास से छेड़छाड़ नहीं करने के लिए पत्र लिखा है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप बीजेपी के नहीं थे और ये लोग महाराणा प्रताप को सांप्रदायिक बनाने में लगे हुए हैं, जबकि सच्चाई यह है कि महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खां सूरी थे और उनके खिलाफ लड़ने वाले अकबर के सेनापति मानसिंह थे. यह एक सच्चाई है.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री का कहना है कि पत्र लिखने वालों से जब हमने फोन किया तो उनका कहना था कि हमने तो पत्र इसलिए लिख दिया कि मेवाड़ से हमें यह कहा गया था. यह चार लाइन का पत्र आप शिक्षा मंत्री को लिख दें. जहां तक गुलाबचंद कटारिया का पत्र है तो उन्होंने पत्र में लिखा है कि संघ से जुड़े एक लेखक का लेख इसमें क्यों नहीं लिखा जा रहा है. मैं फिर कहता हूं कि मैं किसी भी संघ से जुड़े व्यक्ति का सिलेबस में नहीं चलने दूंगा.