राजस्थान में विकास के नाम पर पिछले चार साल में लगभग 150 मंदिरों को हटाया गया है, लेकिन एक छोटे से मंदिर की दीवार गिरने से हंगामा मच गया. आनन-फानन में सरकार के आदेश का पालन नहीं करने वाले आईपीएस अधिकारी एसपी साहब समेत तीन अधिकारियों को हटाया गया है. दरअसल जिस मंदिर की दीवार गिराई गई वो गोरखनाथ मंदिर था, जिसे नहीं तोड़ने के लिए खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राजस्थान सरकार को पत्र लिखा था.
जयपुर के सांगानेर में सड़क किनारे बना ये मंदिर दिखने में तो छोटा है, लेकिन इसकी दीवार तोड़ने पर बवाल मच गया है. मेट्रो के नाम पर जयपुर में कई सौ साल पुराने मंदिर हटाए गए और जमकर हंगामा भी मचा, लेकिन गोरखनाथ मंदिर की दीवार गिरने पर जो हुआ वैसा पहले नहीं हुआ था.
दरअसल 26 फरवरी को जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस मंदिर के कुछ हिस्से को अतिक्रमण मानते हुए तोड़ दिया था , लेकिन जब ये बात यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दफ्तर तक पहुंची तो हंगामा हो गया. राजस्थान के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट मांगी और कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर जेडीए कमिश्नर तक सफाई देने के लिए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दफ्तर तक रात भर चक्कर लगाते रहे.
आनन-फानन में एसपी राहुल जैन को पद से हटाकर एपीओ (अवेटिंग पोस्टिंग ऑर्डर) कर दिया और एनफोर्समेंट अधिकारी नरेंद्र खीचड़ और तहसीलदार रेखा यादव को जेडीए से रिलीव कर हटा दिया. सूत्रों की मानें तो अभी कई और अधिकारियों को भी हटाया जाएगा. मंदिर के पुजारी राम सिंह ने बताया कि खुद योगी आदित्यनाथ ने इसे नहीं हटाने के लिए चिट्ठी लिखी थी और अब भी हंगामा इसलिए मचा है क्योंकि हमने सारे मामले की शिकायत आदित्यनाथ से की थी, जिसके बाद अधिकारियों का कहना है कि हम इसे फिर से बना देंगे. ये मंदिर 40 साल से यहां बना हुआ है.
बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा का कहना है कि एपीओ करने और हटाने से काम नहीं चलेगा बल्कि इन अधिकारियों को सजा मिलनी चाहिए ताकि आगे से कोई मंदिर नहीं तोड़े, जबकि आरएसएस से जुड़े पदाधिकारी बाकि अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि सरकार ने अगस्त 2017 को ही सड़क से 20 फीट तक मंदिर प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, मगर सांसद आदित्यनाथ की चिट्ठी के बाद इस पर कार्रवाई रोक दी गई थी, लेकिन 4 जनवरी 2018 को इस मामले में मंदिर को फिर से नोटिस दिया गया था.
अधिकारियों ने कहा कि हमने मंदिर नहीं तोड़ा है, बल्कि वहां चल रही दुकान को तोड़ा है. वहीं इस मामले पर सरकार का कहना है कि अधिकारियों को हटाना एक रूटीन प्रक्रिया है इसे यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.