राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में लगे मनु की प्रतिमा को लेकर राज्य में 28 साल बाद एक बार फिर से बवाल शुरु हो गया है. राज्य के महिला और दलित संगठनों ने मनु की प्रतिमा को हाईकोर्ट से हटाने के लिए राज्यभर में आंदोलन का ऐलान कर दिया है. इस बीच राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में मनु की प्रतिमा के बाहर भारी फोर्स को तैनात कर दिया है.
सबकी सुरक्षा की गारंटी देने वाले कोर्ट के अंदर मनु की इस प्रतिमा को खतरा पैदा हो गया है. राजस्थान हाईकोर्ट में लगी इस मनु की प्रतिमा की सुरक्षा में दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. इसकी वजह ये है कि राज्य के 20 से ज्यादा दलित और महिला संगठनों ने ऐलान किया है कि हाईकोर्ट जयपुर के अंदर लगे इस मनु की प्रतिमा को हटाने के लिए राज्यभर में आंदोलन शुरू किया जाए. इनका कहना है कि जिस मनु ने महिला और जाति व्यवस्था के बारे में आपत्तिजनक बातें कही हैं उसकी प्रतिमा की छाया में हाईकोर्ट निष्पक्ष फैसले कैसे दे सकता है.
मनु की इस प्रतिमा को हटाने को लेकर पिछले 28 सालों से राजस्थान हाईकोर्ट में मामला चल रहा है लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई ठीक से नहीं हो पा रही है. इसलिए सभी महिला और दलित संगठनों ने राजस्थान के चीफ जस्टिस से मिलने का भी समय मांगा है. सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव का कहना है इस मामले को 28 साल से जानबूझकर कोर्ट में टाला जा रहा है. हम मांग करते हैं कि जो फैसला लेना है कोर्ट उसे जल्दी ले ताकि या तो मनु की प्रतिमा हटे या फिर हम सुप्रीम कोर्ट जाएं.
दरअसल, 1989 में न्यायिक सेवा संगठन के अध्यक्ष पदम कुमार जैन ने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस एमएम कासलीवाल की इजाजत से मनु की इस बड़ी प्रतिमा को लगवाया था. तब राज्यभर में हंगामा मचा और राजस्थान हाईकोर्ट कोर्ट संपूर्ण प्रशासनिक पीठ ने इसे हटाने के लिए रजिस्ट्रार के माध्यम से न्यायिक सेवा संगठन को कहा. लेकिन तभी हिंदू महासभा की तरफ से आचार्य धरमेंद्र मनु की प्रतिमा हटाने के खिलाफ हाईकोर्ट में स्टे की याचिका लगा दी कि एक बार स्थापित मूर्ति हटाई नहीं जा सकती. तब से लेकर आज तक केवल दो बार मामले की सुनवाई हुई है. जब भी सुनवाई होती है कोर्ट परिसर में टकराव का वातावरण बन जाता है और मामला बंद कर दिया जाता है.
हिंदू संगठन मनु की प्रतिमा को हटाने का विरोध कर रहे हैं. याचिकाकर्ता आचार्य धर्मेंद्र का कहना है कि प्रतिमा किसी भी तरह से हटाना अनुचित है. मनु को भगवान का दर्जा धर्मग्रंथों में दिया गया है. इस मामले में कोर्ट ने गृह विभाग के सचिव के जरीए नोटिस भेजकर भारत सरकार को भी पक्षकार बनाने को कहा था लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार खुद को इस विवाद से दूर रखे हुए है. महिला और दलित संगठनों के इस मनुवाद हटाओ आंदोलन के बाद सरकार ने प्रतिमा और राजस्थान हाईकोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी है.