जयललिता का अभिनेत्री से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उतार चढ़ाव से भरा रहा. जयललिता अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन उर्फ एमजीआर की करीबी थी. जयललिता ने अपने चार दशक के राजनीतिक जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं.
15 वर्ष की उम्र में फिल्मी करियर शुरू करने वाली जयललिता एक सुप्रसिद्ध तमिल एक्ट्रेस बनीं. एक विद्यार्थी के तौर पर भी पढ़ाई में उनकी काफी रुचि रही.
जयललिता ने एमजीआर के साथ 28 फिल्मों में काम किया. एमजीआर तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थे और भारतीय राजनीति के सम्मानित नेताओं में थे.
जयललिता फिल्मी दुनिया को अलविदा कह कर एमजीआर के साथ राजनीति में आ गईं. कहा जाता है कि अंग्रेजी में उनकी मजबूती को देखकर एमजीआर उनको राजनीति में लेकर आए थे.
एम करुणानिधि की पार्टी द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया. साल 1983 में एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का सचिव नियुक्त किया और राज्यसभा के लिए मनोनित किया.
इस बीच जयललिता और एमजीआर के बीच मतभेद की खबरें भी आईं लेकिन जयललिता ने 1984 में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया.
एमजीआर के निधन के बाद जयललिता साल 1987 में पूरी तरह उभर कर सामने आईं.
एमजीआर की अंतिम यात्रा के दौरान एमजीआर की पत्नी और समर्थकों ने जयललिता के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जिससे पार्टी में बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो गई.
जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद जयललिता पहली बार साल 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं.
हालांकि साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन तब तक जयललिता एक मजबूत राजनीतिक हस्ती बन चुकी थीं.
आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए जयललिता पर केस चला जिसमें वो दोषी भी पाई गईं. आखिरकार 27 सितंबर 2014 को बंगलुरु की एक अदालत ने जयलिलता को चार साल कैद की सजा सुनाई.