अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के करीब 8 महीने बाद उन्हें न्याय मिलना शुरू हो गया, जिन समुदायों ने दशकों तक जम्मू-कश्मीर में भेदभाव का सामना किया. पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी जिन्हें 1947 से जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी का दर्जा नहीं दिया गया था, उन्हें अब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा अधिवास प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है. इसके साथ ही प्रति परिवार 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है.