महान क्रांतिकारी अशफाकउल्लाह खान की जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है, जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की और मात्र 27 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. अशफाकउल्लाह खान ने अपनी अंतिम इच्छा जताते हुए कहा था, 'कुछ आरजू नहीं है, है आरजू तो ये है, रख दे कोई जरा सी खाक-ए-वतन कफन में.'