कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और अचानक रेमडिसिविर दवा को लेकर चर्चा काफी तेज़ है. इस दवा की कमी कई राज्यों में पाई गई है. जिसकी वजह से कोरोना मरीजों के इलाज में मुश्किलें आ रही है. रेमडेसिविर दावाओं को लेकर मारामारी मची है. भारत में इस दवा को लेकर स्थिति ये है कि जिसे रेमडेसिविर की ज़रूरत नहीं है वो भी इस दवा के लिए लाइन लगा रहा है. रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है. जिसे अमेरिका की दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है. इसे आज से करीब एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए बनाया गया था. लेकिन इसे कभी बाजार में उतारने की मंजूरी ही नहीं मिली. मगर अब कोरोना के इस दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को जीवन रक्षक दवा के तौर पर देखा जा रहा है. यही वजह है कि रेमडीसिविर इंजेक्शन को लोग महंगी कीमत पर भी खरीदने को तैयार हैं. कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को WHO ने मान्यता नहीं दी. लेकिन अब तक आंकड़े बताते हैं कि इस दवा ने मरते हुओं को भी बचाया है. देखें
With the second wave of the coronavirus raging through the country, several patients and their acquaintances seek assistance to find access to oxygen supplies, remedesivir and hospital beds.