ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वर्ण व्यवस्था और कथावाचक की भूमिका पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि कथा कोई भी सुन या बोल सकता है, लेकिन व्यास पीठ पर केवल ब्राह्मण को ही बैठना चाहिए। शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि समाज में वर्णाश्रम व्यवस्था को मानने वाले और न मानने वाले दोनों वर्ग मौजूद हैं, और दोनों को गलत नहीं कहा जा सकता।