संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गृहमंत्री अमित शाह की ओर से दिए गए जवाबों को कमजोर, असंतोषजनक और “घबराया हुआ” बताया. उनका कहना था कि उन्होंने चुनावी पारदर्शिता से जुड़े कई गंभीर सवाल पूछे, लेकिन सरकार ने इनमें से किसी भी मुद्दे पर ठोस और स्पष्ट जवाब देने की कोशिश नहीं की.
राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पहली मांग थी कि देश में पारदर्शी, डिजिटल और मशीन-रीडेबल वोटर रोल तैयार किया जाए, ताकि नागरिक, राजनीतिक दल और स्वतंत्र संस्थान वोटर डेटा को वेरीफाई कर सकें.
उनका कहना था कि इससे वोट कटने, फर्जी नाम जुड़ने और गड़बड़ियों की संभावना काफी कम हो जाएगी. लेकिन, उनके अनुसार, गृहमंत्री ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि EVM के पूरे आर्किटेक्चर, उसके तकनीकी सिस्टम और बैक-एंड प्रोसेस को सार्वजनिक करने की मांग पर भी सरकार चुप रही. राहुल ने कहा कि EVM पारदर्शिता से संबंधित सवालों से सरकार बच रही है और किसी भी तरह का स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट कराने से परहेज़ कर रही है.
कांग्रेस ने हरियाणा और बिहार में BJP नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से अवैध वोट डालने के उदाहरण और प्रूफ सदन में पेश किए थे. उन्होंने कहा कि इतनी गंभीर बात पर भी गृहमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं समझा.
इसके अलावा, राहुल ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से CJI को बाहर करने को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि सरकार ने इस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उनके अनुसार, यह फैसला चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करता है.
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राहुल गांधी ने कहा कि कई मतदान केंद्रों की CCTV फुटेज आज तक सार्वजनिक नहीं की गई है और उन्हें रोकने के लिए जो तर्क दिए जा रहे हैं, वे “हास्यास्पद” हैं. उनका कहना था कि इस तरह की चुप्पी और बहाने चुनावी प्रक्रिया पर अविश्वास बढ़ाते हैं.
उन्होंने कहा कि विपक्ष इसलिए वॉकआउट पर मजबूर हुआ क्योंकि सरकार सवालों से बचती रही, ठोस जवाब नहीं दिए और पारदर्शिता से जुड़े मुख्य मुद्दों पर चर्चा से परहेज़ किया गया. राहुल ने कहा कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता के लिए यह बहस जरूरी है और सरकार को इन प्रश्नों का जवाब देना ही होगा.