सुप्रीम कोर्ट में आज नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट में 73 याचिकाएं दायर हैं, जिनमें कहा जा रहा कि आज दस याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती दी गई है. याचिकाओं में दावा किया गया है कि संशोधित कानून के तहत वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन असामान्य ढंग से किया जाएगा और यह कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन के रूप में तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन किया था, जिसे लागू किया जा चुका है. इसे लेकर कुछ जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं, और कई स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं. ये कानून राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद 5 अप्रैल को संसद में बहस के दौरान पारित हुआ था.
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो चुकी है, अब सर्वोच्च न्यायालय कल दोपहर 2 बजे फिर से इस मामले पर सुनवाई करेगा.
वक्फ संपत्तियों से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों को लेकर तीखे सवाल किए. CJI ने स्पष्ट कहा कि अगर इन संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया, तो यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. सुनवाई के दौरान CJI ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि आप अब भी मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं, क्या वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी जाएगी या नहीं? SG मेहता ने जवाब दिया कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वक्फ मानी जाएगी. इस पर CJI ने तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि ये तो पहले से स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा. अगर आप वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को डिनोटिफाई करने जा रहे हैं, तो यह एक गंभीर मसला होगा. उन्होंने आगे कहा कि मैंने प्रिवी काउंसिल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कई फैसले पढ़े हैं, जिनमें वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है. आप ये नहीं कह सकते कि सभी ऐसी संपत्तियां फर्जी हैं. इस पर एसजी तुषार मेहता ने तर्क दिया कि कई मुसलमान वक्फ बोर्ड के माध्यम से संपत्ति दान नहीं करना चाहते, इसलिए वे ट्रस्ट बनाते हैं. वहीं, CJI ने पूछा कि ऐसी कई संपत्तियां हैं जो वक्फ बाय यूजर के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं हैं, लेकिन लंबे समय से उनका धार्मिक उपयोग हो रहा है. आप उन्हें कैसे मान्यता नहीं देंगे?
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि वक्फ संसोधन बिल पर विमर्श के लिए जेपीसी का गठन किया गया था, इस बाबत 38 बैठकें की गईं. 92 लाख ज्ञापनों की जांच की गई. बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ, इसके बाद बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगी.
कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि पहले केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे लेकिन अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे. आर्टिकल 26 कहता है कि सभी सदस्य मुस्लिम होंगे. कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है. सरकार कह रही है कि विवाद की स्थिति में एक अधिकारी जांच करेगा, जो सरकार का होगा. यह असंवैधानिक है. वक्फ कानून के विरोध में तर्क देते हुए कहा है कि ये पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है. आप ये कहने वाले कौन होते हैं कि मैं वक्फ बाइ यूजर नहीं बना सकता. मुस्लिमों को अब वक्फ बनाने के लिए कागजात देना होगा.
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है. संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है. आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है. यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है.
कोर्ट में वक्फ कानून का विरोध करते हुए कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि अगर मुझे वक्फ बनाना है तो मुझे सबूत देना होगा कि मैं पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं. अगर मैंने मुस्लिम धर्म में जन्म लिया है तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ यहां पर लागू होगा. यह 20 करोड़ लोगों के अधिकारों पर सवाल है. क्या अधिकारी तय करेंगे संपत्ति किसकी है. इससे सरकारी दखल बढ़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ कानून मुस्लिम उत्तराधिकार का उल्लंघन है. वक्फ कानून धार्मिक मामलों में दखल है. सीजेआई ने कहा कि समय कम है, आफ सिर्फ बड़ी बातें रखें.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने वक्फ कानून को लेकर सुनवाई शुरू कर दी है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि ये सुनवाई का पहला दौर है. मूल याचिकाओं पर पहले एक साथ सुनवाई होगी. हम आज ही सभी याचिकाओं को नहीं सुन सकते. किसी भी दलील का दोहराव नहीं होना चाहिए. कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत की है. सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ कानून धार्मिक मामलों में दखल है.
सुप्रीम कोर्ट में पहले मूल याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी. सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी. आज की सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी की ओर से पेश होंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी समस्त केरल जमीयत उेमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े, मोहम्मद जावेद की ओर से जबकि अधिवक्ता निजाम पाशा एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी की ओर से पेश होंगे.
वक्फ कानून को लेकर आज जिन दस याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. उनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के AAP विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने दायर किया है.
वक्फ कानून में किए गए संशोधन के खिलाफ देशभर से कई राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मुख्य याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई, वाईएसआरसीपी (YSRCP) सहित कई दल शामिल हैं. साथ ही इसमें एक्टर विजय की पार्टी टीवीके, आरजेडी, जेडीयू के मुस्लिम सांसद, AIMIM और AAP जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.
इनके अलावा, दो हिंदू पक्षों द्वारा भी याचिकाएं दायर की गई हैं. वकील हरिशंकर जैन ने एक याचिका दर्ज कराई है जिसमें दावा किया गया है कि अधिनियम की कुछ धाराओं से गैरकानूनी ढंग से सरकारी संपत्तियों और हिंदू धार्मिक स्थलों पर कब्जा किया जा सकता है. नोएडा की रहने वाली पारुल खेरा ने भी एक याचिका दायर की है, और उन्होंने भी इसी तरह के तर्क दिए हैं. धर्मिक संगठनों में समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने भी कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का भी इस मामले में अहम योगदान है.
सुप्रीम कोर्ट में आज नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होने जा रही है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के खिलाफ और समर्थन में दायर याचिकाओं पर दलीलें सुनेंगे. सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया गया है लेकिन धार्मिक संस्थानों, सांसदों, राजनीतिक दलों और राज्यों को मिलाकर वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं.