सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने का प्रयास जारी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मजदूर पिछले 10 दिन से सुरंग में फंसे हुए हैं. सुरंग ढहने की वजह से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है. आज सुरंग में दो तरफ के खुदाई शुरू हो सकती है. इसके लिए सोमवार रात को वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन पहाड़ के ऊंचे हिस्से पर पहुंच गई है. यह मशीन पहाड़ के ऊपर से वर्टिकली ड्रिल करेगी. वहीं, दूसरी ओर अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन सुरंग में अंदर की ओर से मलबे में 800-900 मिमी का स्टील का पाइप डालने की कोशिश कर रही हैं. ताकि इस पाइप के सहारे मजदूरों को बाहर निकाला जाए. ऑगर मशीन से 24 मीटर खुदाई भी हो गई थी. हालांकि, मशीन में खराबी आ गई. इसके बाद काम रुक गया. आज दोबारा से ऑगर मशीन से ड्रिल शुरू होने की संभावना है.
सुरंग में फंसे मजदूरों ने अपने परिवार के सदस्यों से बात की. मजदूरों ने 6 इंच के पाइपलाइन के जरिए बात की है. इस पाइप के जरिए मजदूरों तक भोजन आपूर्ति की जा रही है.
टनल में बारकोट की ओर से भी रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है. इस तरफ से 3 मीटर चौड़ी रेस्क्यू टनल बनाई जा रही है. अभी तक 8 मीटर लंबी टनल बनाई जा चुकी है. हालांकि, इस तरफ से रेस्क्यू प्लान स्लो है. पिछले 24 घंटे में सिर्फ 8 मीटर लंबी टनल बनी है. हालांकि, इसे सबसे सुरक्षित तरीका माना जा रहा है. अगर वर्टिकल और अन्य तरीके फेल होते हैं, तब मजदूरों को बचाने के लिए ये काफी अहम साबित हो सकता है.
उत्तरकाशी के प्रभारी और कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल टनल में मजदूरों को निकालने के लिए चल रहे रेस्क्यू अभियान का जायजा लेने जाएंगे.
सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फँसे श्रमिकों से पहली बार एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछा गया। सभी श्रमिक बंधु पूरी तरह सुरक्षित हैं। pic.twitter.com/vcr28EHx8g
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 21, 2023
आज मजदूरों को निकालने की कोशिश और तेज होगी. दो तरफ से खुदाई शुरू की जाएगी. इससे पहले सोमवार को 57 मीटर लंबी और 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए मजदूरों को खाना पीना पहुंचाया गया. इसके अलावा वॉकी टॉकी भी भेजा गया. बीआरओ ने पहाड़ की ऊंचाई तक रास्ता काट कर सड़क तैयार की है. इसी के सहारे ड्रिल मशीन पहाड़ के ऊपरी हिस्से तक पहुंची है.
गुफा के मुहाने से सुरंग के भीतर 40 मी के खतरनाक हिस्से को सुरक्षित कर लिया गया है और रेस्क्यू में जुटी टीम की सुरक्षा के लिए अल्टरनेटिव माइक्रो टनल बना दी गई है. आपात स्थिति में पूरी बचाव टीम इस माइक्रो चैनल में 40 मीटर के हिस्से से भाग कर बाहर आ सकती है.
मजदूरों और सुरंग के अंदर का हाल चाल जानने के लिए पाइप के जरिए सुरंग में कैमरा भेजा गया है. इस में सुरंग के अंदर के हालात कैद हुए हैं. अधिकारियों ने वॉकी टॉकी के जरिए मजदूरों से बात की. सुरंग के अंदर का जो फुटेज सामने आया है, उसमें देखा जा सकता है कि वे 10 दिन से कैसे सुरंग में रहने को मजबूर हैं. सुरंग से मजदूरों के रेस्क्यू में जुड़े कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि हम सुरंग के अंदर फंसे लोगों को खाना, मोबाइल और चार्जर भेजने की कोशिश कर रहे हैं. हम अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश करेंगे.
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए सोमवार रात को 24 बोतल भर कर खिचड़ी और दाल भेजी गई. 9 दिन बाद पहली बार मजदूरों को भरपेट भोजन मिला. इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया. आज मजदूरों को दलिया और अन्य खाद्य सामग्री भेजी जाएगी. अभी तक पाइप के जरिए सिर्फ मल्टी बिटामिन, मुरमुरा और सूखे मेवे भेजे जा रहे थे. 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए ये खाना मजदूरों को पहुंचाया गया.
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए 10 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली.