scorecardresearch
 

यूपी के ड्राफ्ट पर हंगामा, MP-राजस्थान सहित इन राज्यों में दशकों से लागू है 2 बच्चों का कानून!

Uttar Pradesh Draft Population Policy: उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों में सालों से मिलता-जुलता कानून लागू है.

Advertisement
X
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पर हंगामा
  • इससे मिलते-जुलते कानून दूसरे राज्यों में मौजूद हैं

उत्तर प्रदेश का प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक (uttar pradesh draft population policy) इन दिनों चर्चा में है. इसमें दो-बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा. इसपर 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी जा रही है. लेकिन राजनीतिक दल इसको लेकर बंट चुके हैं. कोई इसकी टाइमिंग पर सवाल उठा रहा है, तो कोई इसको लेकर सरकार की गंभीरता पर.

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक (uttar pradesh draft population policy) को चुनाव की वजह से लाया गया, या चुनाव की वजह से इस पर हंगामा है, यह साफतौर पर कहना मुश्किल है. लेकिन देखने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों में सालों से मिलता-जुलता कानून लागू है.

किन-किन राज्यों में लागू है दो-बच्चों की नीति

  • मध्य प्रदेश में साल 2001 से दो बच्चों का कानून लागू है. मध्य प्रदेश सिविल सर्विस नियमों के मुताबिक, अगर 26 जनवरी 2001 से पहले किसी के तीसरे बच्चे का जन्म हुआ है तो वह सरकारी नौकरी में नहीं जा सकता. उच्च न्यायिक सेवाओं में भी यह नियम लागू है.
  • यूपी से सटे उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चे होने पर जिला पंचायत और ब्लॉक डिवेलपमेंट कमिटी का सदस्य नहीं बनने दिया जाता.
  • आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के पंचायती राज कानून के हिसाब से अगर किसी को 30 मई 1994 से पहले दो से ज्यादा बच्चे हुए हैं तो स्थानीय चुनाव नहीं लड़ सकता. 
  • राजस्थान में दो बच्चों से ज्यादा हों तो सरकारी नौकरी में नहीं जा सकते. इसके साथ-साथ राजस्थान पंचायती राज एक्ट 1994 के हिसाब से अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह (महिला या पुरुष कोई भी) पंच या सदस्य के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकता है. अगर दोनों में से कोई एक बच्चा दिव्यांग है तो कानून में छूट मिलती है.
  • इसकी तरह महाराष्ट्र में अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह ग्राम पंचायत, नगर निगम जैसे चुनावों में नहीं लड़ सकता. महाराष्ट्र सिविल सर्विस नियमों के हिसाब से भी दो से ज्यादा बच्चे होने पर आपको सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
  • गुजरात की बात करें तो वहां 2005 में कुछ कानूनों में बदलाव किया गया था. इसके बाद दो ये ज्यादा बच्चे वालों को पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों लड़ने से रोका गया था. 
  • ओडिशा जिला परिषद एक्ट में 1992 में एक बदलाव हुआ था. इसके बाद से दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत या नगर निगम में कोई पोस्ट नहीं मिलती.
  • असम राज्य में भी जनसंख्या नीति पहले से लागू है. साल 2019 में बीजेपी सरकार ने ही कानून बनाया था कि जिनको दो से ज्यादा बच्चे होंगे वह 1 जनवरी 2021 के बाद सरकारी नौकरी नहीं पा सकेंगे.

Advertisement
Advertisement