सरकार सेम सेक्स मैरिज के ख़िलाफ़
सेम सेक्स मैरिज को कानूनी अमलीजामा पहनाया जाए या नहीं, इस सवाल पर आज सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इसपर सुनवाई कर रही थी. केंद्र सरकार ने कल ही सुप्रीम कोर्ट में दूसरा हलफनामा दाखिल कर कहा था कि सेम सेक्स मैरिज को वैध ठहराए जाने की डिमांड सिर्फ शहरी एलीट क्लास की है और अगर कानून बना तो आम नागरिकों के हित प्रभावित होंगे. अब इस हित को डिफाइन कैसे करें, इसपर हम आगे बात करेंगे.
केंद्र का ये भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही IPC की धारा 377 को डिक्रिमिनलाइज कर दिया हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि याचिकाकर्ता सेम सेक्स मैरिज के लिए मौलिक अधिकार का दावा करें. लेकिन याचिकाकर्ता इस तर्क से सहमत नहीं है, सुनिए 'दिन भर' में
रूस के डिप्टी पीएम का भारत दौरा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही रूस को पश्चिमी देश अलग थलग कर चुके हैं. ले दे कर उसके पास अब दो ऐसे देश हैं जिनके सहारे वो अपनी इकोनॉमी की गाड़ी खींच सकता है.. एक है चीन और दूसरा भारत. चीन और रूस के बीच व्यापार बढ़कर 190 अरब डॉलर का हो गया है जो कि भारत से छह गुना ज्यादा है. हालांकि इससे भारत-रूस के रिश्ते पर किसी तरह का कोई असर नहीं दिखता. उदाहरण के तौर पर आप तेल के इंपोर्ट को देखिए. रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम होती थी, लेकिन फरवरी में यह 35 फीसदी बढ़कर 16.20 लाख बैरल प्रतिदिन की हो गई है.
इन सब के बाद रूस भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को और मज़बूत करना चाहता है जिसकी बानगी हमें रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर डेनिस वेलेंटिनो विच मांटुरोव के भारत दौरे में दिखाई पड़ी. रूसी डिप्टी PM का यह दौरा भारत से ट्रेड रिलेशन को लेकर खास रहा क्योंकि रूस दो मुद्दों पर फोकस कर रहा है. एक तो दोनों देशों के बीच ट्रेड बैलेंस बनाया जाए और दूसरा ये कि रुपए में ट्रेड शुरू करने के लिए कोई आसान रास्ता निकाला जाए. भारत चाहता है कि रूस और भारत हर तरह का ट्रेड रुपए-रूबल में करें. इस सिलसिले में कल रूस के डिप्टी पीएम की भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात भी हुई और आज वो एनएसए अजीत डोभाल से मिले साथ ही इंटरगवर्नमेंट कमीशन की मीटिंग में हिस्सा भी लिया. रूसी डिप्टी पीएम के भारत दौरे का हासिल क्या रहा, सुनिए 'दिन भर' में
अग्निवीर में बदलाव
भारत की तीनों सेनाएं लाखों युवाओं को रोज़गार और देशसेवा का मौक़ा एक साथ देती आई है. करोड़ों युवा नौकरी पाने के उद्देश्य से इसके लिए तैयारी भी करते हैं. लेकिन तीनों सेनाओं में नॉन-ऑफिसर रैंक की सीधी और स्थाई भर्ती पर अंकुश लगाते हुए सरकार पिछले साल जून में अग्निवीर स्कीम लेकर आई थी. अभी 20 दिन पहले ओडिशा में क़रीब ढाई हज़ार अग्निवीरों की चार महीने की ट्रेनिंग के बाद पासिंग आउट परेड भी आयोजित हुई थी. पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि फिलहाल अलग से सेना में स्थायी भर्ती की कोई योजना नहीं है और 25% अग्निवीर ही बाद में स्थायी सैनिक बनेंगे. उन्होंने ये भी कहा था कि अग्निवीर स्कीम को रिव्यू भी किया जाएगा. लेकिन सेना ने हाल ही में अग्निवीरों, जूनियर कमीशन अधिकारियों और अन्य श्रेणियों की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की है. किस तरह के बदलाव किए गए हैं और मौजूदा प्रक्रिया से कितने अलग हैं, सुनिए 'दिन भर' में
अतीक के आतंक की कहानी
अतीक अहमद की हत्या के बाद जांच कमेटी बनी है, जांच भी हो रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है लेकिन इस कहानी के पीछे भी कई ऐसी कहानी हैं जो अब तक ठंडी रहीं. उन लोगों की कहानी जो अतीक अहमद के आतंक का शिकार हुए. सालों तक दहशत में रहे ये सोचकर कि अगर कुछ बोले तो उनका परिवार ख़तरे से न घिर जाए, लेकिन अब वो भी अपनी कहानी कहने आगे आ रहे हैं. सुनिए 'दिन भर' में