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RBI को पुरानी पेंशन स्कीम रास क्यों नहीं आ रही? : आज का दिन, 18 जनवरी

KCR और अरविंद केजरीवाल का साथ आना क्या कोई नई राजनीतिक खिड़की खुलने की आहट है, पुरानी पेंशन स्कीम पर RBI की क्या चिंताएं हैं और पाक पीएम भारत के साथ बातचीत की पहल करने के बाद पलट क्यों गए? सुनिए 'आज का दिन' में.

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नया नवेला और उम्र में सबसे छोटा राज्य है तेलंगाना. यहां सरकार है बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति की. भारत राष्ट्र समिति पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति कहलाती थी, इसके कर्ता धर्ता हैं राज्य के मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव. राजधानी हैदराबाद से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक शहर है खम्मम, आज यहीं केसीआर की एक विशाल रैली होनी है. दिल्ली में अपनी पार्टी की ऑफिस इनेगुरेट करने के बाद चंद्रशेखर राव की ये पहली विशाल जनसभा है. ख़ास ये इसलिए है क्योंकि इसमें समान विचारधारा वाली पोलिटिकल पार्टीज को बुलाया गया है और रिपोर्ट्स हैं कि आज की रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान यानी दोनों आम आदमी पार्टी के बड़े नेता, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव जैसे कई दिग्गज लीडर्स शामिल होंगे. हालाँकि बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस इंटरव्यू पर स्पष्टीकरण जारी किया है.

सवाल है कि और सब तो ठीक लेकिन ओपोजिशन पार्टीज में आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति का साथ आना… कॉंग्रेस से बराबर दूरी रखते हुए, दूरी इसलिए कि राहुल गांधी की जो भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए चली, उसमें राहुल सीधे तौर पर एक बार तेलंगाना में तो दूसरी बार पंजाब में वहां की सरकारों पर, एस्पेसियली केसीआर और केजरीवाल पर हमलावर हुए, ऐसे में, इन दोनों नेताओं का साथ आना क्या भविष्य की कोई नई राजनीतिक खिड़की खुलने की आहट है या ये फोटो ऑप भर तक रहेगा और अखिलेश यादव यूपी में जब भारत जोड़ो यात्रा पहुंचती है तो वे नहीं शामिल होते उसमें लेकिन खम्मम जाने को वे तैयार हो जाते हैं, यहां इनकी वो झिझक क्यों नहीं दिखती? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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पेंशन का मुद्दा और वो भी पुरानी पेंशन व्यवस्था जिसे ओल्ड पेंशन स्कीम कहते हैं, उसको बहाल कर देने का वायदा चुनाव दर चुनाव को दिलचस्प बना रहा है. इस सिलसिले में नया नाम जुड़ा है हरियाणा का. कांग्रेस का कहना है कि अगर सरकार बनी तो, पहली कैबिनेट में ही ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल कर दी जाएगी. कांग्रेस की जहां सरकार बनी या है, उन्होंने इसे बहाल किया भी है. चाहें वो ताज़ा हिमाचल प्रदेश का मामला हो या फिर राजस्थान और छत्तीसगढ़ का. झारखंड जहां कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार है, वहां भी इसकी वापस हो चुकी है. जबकि आम आदमी पार्टी की सत्ता वाले पंजाब में इसकी वापसी को लेकर विचार चल रहा है. जिन्हें ये मिलेगा, वे भले वाहवाही कर रहे हों इन सरकारों की लेकिन इससे अर्थशास्त्रियों के माथे पर हल्की सी शिकन आ गई है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने भी अपने हालिया रिपोर्ट में पुरानी पेंशन स्कीम को राज्यों के भविष्य के लिए काफी नुकसानदेह बताया है. इसकी कई वजहें हैं, तर्क है कि राज्यों की माली हालत उतनी बेहतर नहीं, इस पैसे का इस्तेमाल दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च होता तो बेहतर रहता. ओपीएस पर रिज़र्व बैंक की ये चिंता कितनी जायज़ है और नई पेंशन व्यवस्था, यूनिवर्सल पेंशन स्कीम में से क्या बेहतर ऑप्शन हो सकता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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आख़िर में भारत - पाकिस्तान सम्बन्धों की बात. वो इसलिए क्योंकि इसकी कल वजह बनी पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का एक इंटरव्यू. उन्होंने अल अरबिया टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और पाकिस्तान पड़ोसी हैं और दोनों को एक-दूसरे के साथ ही रहना है. लिहाज़ा उन्होंने शांति का पाठ पढ़ाया और एक-दूसरे से झगड़कर अपना समय और संसाधन बर्बाद न करने की सलाह भी. एक लाइन जो हेडलाइन बनी वो थी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का ये कहना कि वे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की टेबल पर बैठना चाहते हैं और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दों पर गंभीर बातचीत करना चाहते हैं. और इसके लिए उन्होंने यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता की बात कही. हालाँकि बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस इंटरव्यू पर स्पष्टीकरण जारी किया है. पीएमओ का ये कहना है कि पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने ये स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए बिना भारत के साथ बातचीत संभव नहीं. पाकिस्तान ने बातचीत की ये जो पेशकश की है, साथ ही धीरे से कश्मीर को उसमें नत्थी किया है,  क्या ये न्योते की भाषा है और भारत क्या इसे एंटरटेन करेगा? 'आज का दिन' सुनने के लिए क्लिक करें. 

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