उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि किसी आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस जांच अधिकारी थाने से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होकर गवाही दे सकते हैं और बचाव पक्ष के वकीलों के क्रॉस-क्वेश्चन का सामना कर सकते हैं. उपराज्यपाल के इस आदेश को अब दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
कपिल मदान ने उपराज्यपाल की उस अधिसूचना के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है जिसमें पुलिस को पुलिस स्टेशनों से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति दी गई है.
याचिका को रद्द करने की मांग
इस जनहित याचिका में कहा गया है कि यह निष्पक्ष सुनवाई और शक्तियों के बंटवारे का उल्लंघन करता है. इससे अभियोजन पक्ष को अनुचित लाभ मिलता है. गवाह को पहले से सिखाने-बुझाने का खतरा रहता है. याचिका में इस अधिसूचना को असंवैधानिक और न्याय शास्त्र के सिद्धांतों के प्रतिकूल बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है.
अदालतों में हो रहा आदेश का विरोध
वकील गुरमुख सिंह अरोड़ा और आयुषी बिष्ट के माध्यम से यह याचिका कोर्ट में दायर की गई है. उम्मीद है कि इसी हफ्ते इस अर्जी पर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. हालांकि ये अधिसूचना जारी होने के बाद से ही न्यायिक अदालतों में इसकी मुखालिफत जारी है. अदालतों में हड़ताल, नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.