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आंगनबाड़ी बंद होने से बच्चों के सामने भोजन का संकट, केंद्र से दखल की मांग

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगले सप्ताह सुनवाई करने वाला है. इस याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के नियमों के तहत फिर से खोलना चाहिए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लॉकडाउन में बंद हो गए कई आंगनबाड़ी
  • SC में याचिका दायर कर आंगनबाड़ी खोलने की मांग
  • 2 हफ्तों में केंद्र सरकार से मांगा गया है जवाब

गरीब बच्चों को भोजन प्रदान करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि आंगनबाड़ी में काम करने वाले कर्मचारियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान बेहतरीन काम किया है.  

केंद्र ने कहा है कि कोविड- 19 के दौरान भी कर्मचारियों ने हर 2 सप्ताह में बच्चों को पौष्टिक भोजन मुहैया कराया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ियों के कर्मचारियों के द्वारा किए गए काम और भोजन वितरण को लेकर विस्तार से जानकारी सहित हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगले सप्ताह सुनवाई करने वाला है. इस याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के नियमों के तहत फिर से खोलना चाहिए. 

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो उस पीआईएल पर जवाब दें जिसमें दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से कई बच्चों को खाना नहीं मिल पा रहा है. 

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याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए डॉक्टर कोलिन गोंजालविस ने कहा कि NLSIU के सर्वे में पता चला है कि आंगनबाड़ी बंद होने की वजह से कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए हैं. केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. 

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