NEET PG Counselling EWS Quota: नीट पीजी काउंसलिंग में EWS कोटे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर किया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि वो EWS कोटे में तय 8 लाख रुपये की आय की सीमा को जारी रखेगी. इसके साथ ही सरकार ने ये भी बताया कि EWS कोटे में 8 लाख रुपये की सीमा की समीक्षा भी की जाएगी. सरकार ने बताया कि उसने समिति की सिफारिशों को मान लिया है. नीट पीजी काउंसलिंग में EWS कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था.
पिछले साल 29 जुलाई को केंद्र ने एक अधिसूचना जारी की थी. इसमें NEET PG में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% और आर्थिक रुप से कमजोर (EWS) वर्ग को 10% आरक्षण देने की बात कही. इसी अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने से इस साल NEET PG की काउंसलिंग शुरू नहीं हो सकी है. इसी कारण पिछले हफ्ते रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर थे.
शुरू से समझिए कैसे शुरू हुआ विवाद?
- 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मेडिकल संस्थानों में 'ऑल इंडिया कोटा' यानी AIQ लागू किया. ऑल इंडिया कोटे के तहत राज्य अपने मेडिकल संस्थानों की कुछ सीटें केंद्र सरकार को देते थे.
- 2007 तक ऑल इंडिया कोटा में आरक्षण नहीं होता था. फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने मेडिकल कॉलेज की 15% UG सीटें और 50% PG सीटें केंद्र को देंगी.
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सबसे पहले SC/ST का आरक्षण लागू किया गया. उसके बाद OBC को भी आरक्षण दिए जाने की मांग उठी. 2021 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की और OBC के साथ-साथ EWS वर्ग को भी आरक्षण देने की बात कही.
- केंद्र के मुताबिक, EWS के तहत आरक्षण उन्हें ही मिलेगा, जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम होगी. केंद्र का तर्क था कि इस NEET में आरक्षण के फैसले से MBBS में लगभग 1,500 और PG में 2,500 OBC छात्रों को फायदा होगा. साथ ही EWS वर्ग के 550 छात्रों को MBBS और 1,000 छात्रों को PG में लाभ होगा.
- सरकार के इस फैसले को कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने कहा कि OBC और EWS को इस तरह से आरक्षण देने के बाद कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगा. इसके अलावा EWS की पात्रता किस आधार पर तय की गई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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कोर्ट ने पूछा- 8 लाख को आधार कैसे बनाया?
- सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वो बताए कि EWS आरक्षण की पात्रता तय करने के लिए 8 लाख रुपये की सालाना आय को आधार क्यों और किस आधार पर बनाया?
- सवाल पूछने के साथ ही कोर्ट ने 8 लाख रुपये की सालाना आय की समीक्षा करने के लिए समिति बनाने का आदेश दिया था. इसके बाद सरकार ने पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय, ICSSR के सदस्य सचिव वीके मल्होत्रा और केंद्र सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की कमेटी गठित की.
कमेटी ने क्या किया?
- इस कमेटी ने 31 दिसंबर को केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. समिति ने 8 लाख रुपये या इससे कम सालाना आय वाले को EWS कोटे का लाभ देने की सिफारिश की है. सरकार ने इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया है.
- इस समिति ने ये भी सिफारिश कि है EWS से उस परिवार को बाहर रखा जाए जिसके पास 5 एकड़ या उससे ज्यादा की कृषि भूमि है, चाहे फिर उसकी सालाना कमाई कितनी भी हो. हालांकि, समिति ने ये भी कहा है कि इन संशोधनों को अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाए.
अब आगे क्या?
- NEET PG काउंसलिंग से जुड़ी याचिकाओं पर अब 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. अगली सुनवाई में इस समिति की सिफारिशों पर बहस हो सकती है. सरकार ने सुनवाई जल्द से जल्द करने की मांग की है.
- मामले में आखिरी सुनवाई 25 अक्टूबर को हुई थी. तब सरकार ने सुनवाई पूरी होने तक नीट काउंसलिंग में रोक लगाने की बात कही थी. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) का कहना है कि काउंसलिंग में देरी से 45 हजार डॉक्टरों की कमी हो गई है.