महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के जाति संबंधी मुद्दे को लेकर मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति से संपर्क किया है. बता दें कि मलिक अब तक अपने सोशल मीडिया पर इस मामले को उठाते रहे हैं.
25 नवंबर को जस्टिस एसजे कथावाला और मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने मलिक के वकील से पूछा था कि क्या मंत्री ने जाति जांच समिति से संपर्क किया था. जब वकील ने कहा कि संपर्क नहीं किया तो अदालत ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा था, "एक मंत्री होने के नाते, वीआईपी की श्रेणी में आपको सभी दस्तावेज मिलते हैं, संपर्क करो.
अदालत ने कहा था कि एक मंत्री को क्या यह सब शोभा देता है? वह क्या चाहते हैं? सिर्फ मीडिया ट्रायल? जाति प्रमाण पत्र रिकॉर्ड में है, क्या उन्हें जाकर शिकायत जांच समिति से संपर्क नहीं करना चाहिए? मीडिया के सामने जाने से पहले सभी चीजें पुख्ता कर लेनी चाहिए. उच्च न्यायालय की पीठ उस समय समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई कर रही थी.
समिति में सामाजिक कार्यकर्ता मनोज संसारे और अशोक कांबले ने वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान वानखेड़े के वकील रामचंद्र राणे और नितिन राय उपस्थित थे. उन्होंने अब तक समिति के समक्ष प्रस्तुत शिकायतों और दस्तावेजों की प्रतियां मांगीं. यहां तक कि मलिक के वकील सुनील गिरी ने भी खुद के कुछ और दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय मांगते हुए यही मांग की.
दूसरी ओर, कांबले की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नितिन सतपुते ने कहा, "वानखेड़े द्वारा कहीं भी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया था. मेरी जानकारी के अनुसार उनके पास यह नहीं है. यदि उनके पास है, तो उन्हें इसे पेश करना चाहिए. समिति ने मलिक के साथ-साथ वानखेड़े को अपने मामले के समर्थन में अपने दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिया. अब शिकायतों की सुनवाई 28 दिसंबर को होगी.